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हाथों में काम करते-करते छाले पड़ जाना, दिन भर मुंह सूखा देने के बाद भी सिर्फ दो बार की रोटी के जितनी लक्ष्मी का अर्जित करना ही गरीबी है।

मैं एक गरीब हूं। मुझे तो दुख होता है उन लोगों पर जो मेरी गरीबी पर हस्ते है। मेरा तन गर्मी में झुलस जाता है, और वह लोग पंखे के नीचे रह कर भी रोते है। इस संसार में कोई भी गरीब नही होना चाहता, लेकिन जब उस संसार की आंखें एक बेसहारे पर पड़ती है तब वह उस बेसहारे की गलतियों का ब्योरा देकर, उसे कोसते है।

रेलगाड़ी के स्लीपर में बैठना तो हमारे लिए सपना है। अपने गांव से दूर
शहर जा कर काम की खोज करना तो मुश्किल तो है, मगर त्योहारों पर वापिस गांव जाना उससे भी ज्यादा कठिन है। यही पैसों की हालत है।

आज कल के बच्चे कम अंक आने पर आत्महत्या कर लेते है। कहां से आती है इतनी हिम्मत?
क्या परीक्षा के अंक आने पर उनके मां बाप उन्हें यह नहीं समझाते की उनका प्रयास करना ही कितनी बड़ी बात है? या फिर वह अपने बच्चों को भी किसी गरीब व्यक्ति जैसे कोसते है?

उन माता पिता को डर लगता है कहीं उनका बच्चा भी ' गरीब ' ना हो जाए।

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हो सकता है मुझे दुनिया भर में सिर्फ थूका जाता हो। हो सकता है मेरे नाम से ही मेरे दोस्त दूर भागते हो। हो सकता है की मेरे पास कुछ न हो।

मगर मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि लोग मुझे एक प्रेरणा के स्रोत के रूप में देखे। मेरे हाल को केवल अपने हाल से तुलना करें।

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पसंद के कपड़े ना मिल पाना दुख है?
या फिर कपड़ों के लिए पैसे ना होना।

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गुस्से में आकर अगर किसी को गाली देना बुरा नही है, तब तो मैं पूरे सृष्टि को गाली दे सकता हूं, मगर देता नहीं।

गम में अपने को या दूसरों को जान से मार देना ठीक है, तब तो मुझे आधी आबादी को खत्म कर देना चाहिए था। मगर मैं ऐसा करने का खयाल भी नही रखता।

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मेरा एक बच्चा नहीं रहा, मुझे दुख है। लेकिन मुझे दुख का अधिकार नहीं।

आप मानव हो और आपका भावनाओ का प्रकट करना स्वाभाविक है मगर कोई भी पाप करने से पहले मेरा खयाल करना। मैं इस उम्मीद में जीता हूं कि समय बदलेगा। आप भी ऐसा कर सकते हो।

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आप मानव हो और आपका भावनाओ का प्रकट करना स्वाभाविक है मगर कोई भी पाप करने से पहले मेरा खयाल करना। मैं इस उम्मीद में जीता हूं कि समय बदलेगा। आप भी ऐसा कर सकते हो।

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