ज्योतिष शास्त्र में 'संख्या' का महत्व

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ज्योतिष एक त्रिकालदर्शी शास्त्र है, अर्थात् इसकी सहायता से हम भूत, वर्तमान और भविष्य का अनुमान आसानी से लगा सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र एक प्राचीन वैज्ञानिक कला है जिसका उद्देश्य मानव समाज का सर्वांगीण विकास करना है। लेकिन आज लोग ज्योतिष को अंधविश्वास, नाम और धन कमाने का साधन मानकर इस शास्त्र की अवहेलना करते हैं। इस शास्त्र के दुरूपयोग के कारण आम जनता का इस शास्त्र से विश्वास उठ गया है।

हमारे ऋषियों ने प्राचीन काल में सौरमंडल के ग्रहों और अन्य खगोलीय पिंडों का अध्ययन करके ज्योतिष शास्त्र की रचना की है। कौन सा ग्रह सूर्य का एक चक्कर कितने दिनों में पूरा करता है यह ऋषियों ने इन शास्त्रों में युगों पहले लिख दिया है। सूर्योदय और सूर्यास्त किस दिन किस समय होगा, इसकी गणना भी हमारे ऋषियों ने की है। आज हम ज्योतिषीय अध्ययनों में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यानी अंक के बारे में संक्षेप में चर्चा करेंगे।

ज्योतिष में अंको का अपना ही महत्व है। ज्योतिष में ग्रहों की संख्या 7 बताई गई है और 2 अन्य (राहु और केतु) को छाया ग्रह माना गया है, इन्हें पूर्ण ग्रहों का दर्जा नहीं है। वर्तमान में, विज्ञान ने हमारे सौर मंडल में ग्रहों की संख्या को भी संशोधित किया है जिसकी कल्पना पहले 9 के रूप में की गई थी; उन्होंने उन्हें बौना ग्रह बताते हुए उनसे ग्रहों की उपाधि वापस ले ली थी।

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