मेरा नाम विकास है। मेरा गांव हरिपुरा है। मेरे पापा और मेरे बाबा दोनों ही सरकारी शिक्षक है। मेरे परिवार में दादा, दादी और एक बूढी दादी, मम्मी ,पापा और दो चाचा, एक चाची हैं। मेरे एक बड़े भाई हैं ,मैं हूं उसके बाद मेरा एक छोटा भाई संदीप है, एक छोटा भाई स्वराज है और एक और छोटा भाई हुआ है जिसका नाम सागर है।
हमारे घर में सारे बच्चे सबसे छोटे वाली चाचा से बहुत डरते थे। एक बार की बात है मैं चाचा के साथ बाल कटाने के लिए साइकिल से सुखपुरा जा रहा था। मैं पीछे बैठा हुआ था और रास्ते में मेरा एक चप्पल गिर गया और मैं डर के कारण बता भी नहीं पा रहा था कि मेरा चप्पल गिर गया । काफी दूर जाने के बाद मैंने बताया कि मेरा चप्पल पीछे गिर गया तो फिर हम लोग वापस आए और चप्पल लेकर गए। जब भी हम लोग खेलने के लिए बाहर जाते थे अगर देख लिए की चाचा इधर है तो हम वापस सीधे घर भाग कर आते थे।
मेरे बड़े वाले भाई स्कूल जाते थे जबकि मैं और मेरे सारे छोटे भाई अभी स्कूल जाना शुरू नहीं किए थे। मेरे को पढ़ना तो पसंद था लेकिन हमको स्कूल जाना बिलकुल पसंद नहीं था इस वक्त तक।
मेरे गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है और जब मैं छोटा था तो मुझे वही पड़ने जाता था। लेकिन मुझे स्कूल जाना पसंद नहीं था तो मेरे परिवार से कोई मुझे स्कूल छोड़ने जाता था। वह स्कूल में छोर के जैसे ही वापस आते थे तो मैं भी स्कूल से भागने का प्लान बनाने लगता था। थोड़ी देर बाद में किसी न किसी तरह से स्कूल से भाग के वापस घर आ जाता था। और स्कूल से घर भागने के चक्कर में मुझे घर पे डांट सुनना पड़ता था और वापस से अगले दिन स्कूल जाता था तो उधर भी हमको अध्यापक पिटाई कर देते थे। लेकिन इतना सब होने के बाद भी मैं यही गलती बार-बार करता था। मैं पढ़ाई से नहीं भागता था, जो मेरी किताबें थी उसे मैं अच्छे से पढ़ लेता था लेकिन मुझे स्कूल जाना पसंद नहीं था। "और इस बात पर सब मुझे ताने मारते थे कि मेरे भैया तो 3 साल के थे तब से स्कूल जाना शुरू कर दिया था और मैं 6 साल का हो गया अभी तक स्कूल नहीं जा रहा हूं" । इन सब बातों को सुनके मैं ऐसा सोचता था कि अगले जन्म मैं जब छोटा रहूंगा तो स्कूल जाना शुरू कर दूंगा ।
मुझे एक और चीज याद आ रही है जब मैं छोटा था तो अपने मम्मी के बॉक्से से नमकीन और बिस्कुट खा जाते थे।
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Beginning of my Life
Historical Fictionयह कहानी थोड़ी सच्चाई और थोड़ी काल्पनिक इंसिडेंट को मिलाकर बनाई गई है सो कृपया आप इस कहानी को स्टोरी कि तरह ले न की बायोपिक जैसे।