राजस्थान रि धोरा रो प्रतिक गणगौर त्यौहार। AdBanao App

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जानिए हमारे खास ब्लॉग में गणगौर से जुडी रोचक बातें और AdBanao app का इस्तेमाल करके आप कैसे अपना बिज़नेस बढ़ा सकते हो।

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गणगौर त्यौहार: राजस्थान की रंग-बिरंगी परंपरा

एक ऐसा त्यौहार है जो राजस्थान के साथ-साथ उत्तर भारत के कई हिस्सों में बड़े ही उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

इस त्यौहार का नाम गण और गौर से मिलकर बना है, जहां गण का अर्थ है भगवान शिव और गौर का अर्थ है गौरी या देवी पार्वती।

इस त्यौहार में महिलाओं द्वारा देवी पार्वती की पूजा और अराधना की जाती है, जो पति-पत्नी के बीच के प्रेम, वफादारी और सुख-शांति का प्रतीक हैं। विवाहित महिलाएं अपने पतियों के स्वास्थ्य, खुशहाली और दीर्घायु के लिए देवी गौरी की पूजा करती हैं, जबकि कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की प्राप्ति के लिए उनकी पूजा करती हैं।

गणगौर त्यौहार का इतिहास

गणगौर त्यौहार का इतिहास राजपूत शासकों के काल तक जाता है। लेकिन आज भी यह त्यौहार उतनी ही श्रद्धा और गौरव के साथ मनाया जाता है।

इस त्यौहार की शुरुआत होली के अगले दिन चैत्र मास के पहले दिन से होती है और यह 16 या 18 दिनों तक चलता है। इस त्यौहार के दौरान महिलाएं मिट्टी के शिव-गौरी के मूर्तियों को सजाकर पूजती हैं।

कुछ राजपूत परिवारों में लकड़ी की बनी हुई स्थायी मूर्तियों को हर साल त्यौहार के आगे मथेरान (स्थानीय चित्रकार) द्वारा नए रंगों से सजाया जाता है।

तीज और गणगौर की मूर्तियों में एक अंतर यह है कि तीज की मूर्ति में एक छतरी होती है जबकि गणगौर की मूर्ति में नहीं। महिलाएं अपने हाथ-पैरों को मेहंदी से सजाती हैं। मेहंदी में बनाए गए आकृतियां सूर्य, चंद्र, तारे से लेकर साधारण फूल या ज्यामितीय आकृतियों तक होती हैं।

तीज और गणगौर की मूर्तियों में एक अंतर यह है कि तीज की मूर्ति में एक छतरी होती है जबकि गणगौर की मूर्ति में नहीं। महिलाएं अपने हाथ-पैरों को मेहंदी से सजाती हैं। मेहंदी में बनाए गए आकृतियां सूर्य, चंद्र, तारे से लेकर साधारण फूल या ज्यामितीय आकृतियों ...

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घुड़लिया ऐसे मिट्टी के बर्तन होते हैं जिनमें चारों ओर छेद होते हैं और अंदर एक दीपक जलता है।

होली के 7वें दिन की शाम को, कुंवारी लड़कियां घुड़लिया को अपने सिर पर रखकर घुड़लिया के गीत गाते हुए घूमती हैं।

गणगौर त्यौहार के लिए AdBanao App का उपयोग करें।

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⏰ Last updated: Mar 14 ⏰

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