कोई अफसाना ख़त्म हुआ ये न समझ लेना
इस अफसाने को यादों का नया मोड़ दे देना ।जुदा रहना कई मुद्दतों की कश्ती के समान है
हमारे बज़्म को काग़ज़ी कश्ती न होने देना ।पुराने वस्ल के हम हमेशा मुश्ताक़ बने रहेंगे ही
मुझे नई वस्ल का ख़त याद से लिख भी देना ।इस अफ़साने का ख़त तुमसे मिलके मिल सका
इसे सिर्फ़ आज के लिए गिलाफ़ तले रख लेना ।आज शाम के ढलने की फ़ितरत का पता चला
मेरे साथ हो सके तो शब थोड़ा और टाल देना ।सर का ताज तराशने के सफर में निकल गए हैं
हो सके तो अपना ताज मेरे साथ साँझा कर लेना।कोई अलफ़ाज़ समझ न आये तो पूछ्ना ज़रूर
समानाज़ को तुमसे बतियाने का एक मौक़ा दे देना ।
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