अपने शब्दों को सही अल्वाज देने की कोशिश कर रही हु । बहुत कश्मकश के बाद अपने भावों शब्दों में पीरो रही हु। मैं अपने पापा मम्मी भाई और बहिनों के साथ कामठी कैंटोमेंट एरिया में रहती थी। मेरे पापा फौज में थे। हम ३ बहने और १ भाई थे। मैं सबसे छोटी थी। अपनी स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के बाद में कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने के लिए नागपुर जाने का सोचा । पहले तो पापा ने माना कर दिया । कहा के पास के कॉलेज से ही पढ़ाई पूरी कर लो । पर मेरे मानने पर मान गए। और मैने अपनी शिक्षा पूरी करने पर नागपुर में ही कोचिंग क्लासेज में एडमिनिस्टेटर की पोस्ट पर जॉब करना शुरू कर दिया । मैं खुश थी अपनी छोटी सी जिंदगी में । फिर मम्मी पापा ने मेरा रिश्ता तय कर दिया ,उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में । मैं शादी नही करना चाहती थी। क्योंकि मुझे अपनी मम्मी पापा को छोड़ने का कभी सोचा नहीं था , डर लगता था की मैं उनके बिना कैसे रह पाऊंगी। पर मेरे सोचने से किया होता है । मेरी शादी हो गई। मेरे पति सरकारी नौकरी करते है , पर वह आगे और अच्छी नौकरी के लिए तयारी भी कर रहे थे। सब ठीक था सब अच्छा भी था। पर जो लड़की अपनी मर्जी की मालकिन थी इंडिपेंडेंट थी। वो अब धीरे धीरे खोती जा रही थी। शादी के कुछ महीने तो अच्छे थे पर अब मेरे और मेरे पति के सोच विचार अब मिल नही रहे थे, जैसा कि मैंने पहले कहा वो दूसरी जॉब की तयारी भी कर रहे थे तो वो टाइम नही दे पा मुझे शायद जिस पर मेरा हक था ।मुझे उनका समय और प्यार चाहिए था पर वो मुझे मिल नही पा रहा था। फिर क्या था छोटी छोटी बातो पर झगड़ा , एक दूसरे को ताने देना । फिर मेरे सपने टूटते हुए दिखाई देने लगे और में डिप्रेस रहने लगी ,डिप्रेशन ,माइग्रेशन जैसी बीमारी लग गई मुझे। वेट भी बड़ने लगा। समय ऐसे ही निकलने लगा । समय के साथ समझ आया मेरे डिप्रेशन में जाने से कुछ नही होगा, बैटर है जो है जैसा है उसी में खुद को ढाल लो। शादी के २ साल बाद मुझे पता चला मैं प्रेगनेंट हु, मैं खुश थी पर वो खुशी ज्यादा समय की नही थी । मेरी तबियत खराब रहने लगी बॉडी में पैन , रात भर नींद नही आती थी दर्द के कारण पर मन में आश थी के जब बेबी आ जायेगा तो मेरा दर्द और अकेलापन खत्म हो जायेगा। डॉक्टर से पूछती रहती थी के मेरा बेबी सही है या नही। सब ठीक तो है न। ७ महीने में मेरी तबियत ज्यादा खराब रहने लगी, मेरा चलना भी मुश्किल हो गया था। तब मेरे ससुर जी और सासु मां मुझे दूसरे डॉक्टर के पास ले गए । जहा मुझे पता चला के मेरे पेट में पानी की मात्रा बड़ने के कारण मेरे बेबी की ग्रोथ नही हुई है । मानो एक पल में जिंदगी बदल गई और सब खत्म हो गया। बस लगा अब मुझे भी जीने की जरूरत नही है अब। घर में सब दुखी थे। जो खुशियां सब सोच रहे थे वो कही खो गई थी। मैने अपने जन्मदिवस पर ही अपने होने वाले बच्चे को खो दिया। उस वक्त मेरे पति ने मेरा बहुत साथ दिया , उनके प्यार ने मुझे फिर से जीने की वजह दी। मुझे लगा की वो मुझे नही समझते पर इस वक्त में उन्होंने मुझे संभला और हमारे बीच में फिर से सब ठीक होने लगा। और मुझे समझ आया जब भी हमें लगता है के सब खत्म हो रहा है वो एक नई शुरुआत है नई जिंदगी की , नए कल की।