कौन हो तुम प्रिये
कहां से आयी हो
मेरे मन-मन्दिर के
उजराये शयन मेंदेख तुम्हारी आभा
हो गया हूं, मैं मंत्रमुग्ध
न जाने अब, कब आयेगी
मुझको अपनी सुधदेख तुम्हारे रेशमी बालों में
पङे गजरे की चमक
और तन बदन का हार श्रृंगार
रह गयां हूं, मैं हतप्रभ, प्रियेहो चुका हूं, पूर्णरूपेण आकर्षित
देख तुम्हारी, मोरनी की सी चाल
और ऊपर से
यह मधुर चंचलपनदोष न देना मोहे
गर देख तुम्हारे
अलंकृत बदन की छाया@प्रेम
कर न दे मोहे, आपे से बाहर
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A beloved lady - whom I saw in dream
Poetryकौन हो तुम प्रिये कहां से आयी हो मेरे मन-मन्दिर के उजराये शयन में देख तुम्हारी आभा हो गया हूं, मैं मंत्रमुग्ध न जाने अब, कब आयेगी मुझको अपनी सुध देख तुम्हारे रेशमी बालों में पङे गजरे की चमक और तन बदन का हार श्रृंगार रह गयां हूं, मैं हतप्रभ, प्रिये ह...