वो प्याली

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वो प्याली आज भी याद आती है,
एक चुस्की चाय की उसकी याद दिलाती है।
पूरे दिन की मेहनत का वही तो एकमात्र फल था,
खून पसीने के बदले एक प्याली चाय मिलने पर फख्र था।

पूरा दिन चाय में ही निकल जाता था,
भले ही चाय न हो पर मैं उसके ख्यालों में डूब जाता था।
एक चुस्की उस प्याली से पीने को तरस जाता था,
जब मैं घर से दूर किसी टूर पर जाता था।

वो अदरक वाली हो या हो वो इलाइची को,
चाय देखते ही मन बहल जाता था।
उस एक प्याली की तलप में कितनी ही बार ठोकर खाता था,
पर फिर भी चाय मिलने पर सब कुछ भूल जाता था।

उसके बनने की खुशबू से ही सारा घर महक जाता था,
जब चाय बनती थी तो मेरा दिल चहक जाता था।
उसे उबालकर उसकी खुशबू का आनंद उठा लिया करता था,
उसके रंग को अपनी आंखों में समा लिया करता था।

कभी मसालेदार तो कभी कड़क चाय पीने का मन कर जाता था,
कभी थोड़ा पानी तो कभी ज्यादा पानी डालकर भी चाय की प्यास बुझाता था।
कभी कभी दोस्तों के साथ चर्चा में यह विषय निकल आता था,
पर चाय के ज्ञान में मुझे कोई नहीं हरा पाता ।

बारिश के मौसम की साथी थी वो प्याली,
ठंड में एक वही याद आती थी बेचारी।
गर्मियों में भी परंपरा बनाए रखने के लिए पी लिया करते थे,
और पकौड़ों के साथ तो दो प्याली भी बना लिया करते थे।



चाय के साथ Parle-G मस्ट था,
कुछ भी हो पर उसके बिना चाय पीना कहां ज़बरदस्त था।
कभी गरम तो कभी ठंडी से काम चला लिया करते थे,
हम तो एक चाय की प्याली से भी अपना दिन बना लिया करते थे।


अब वो आनंद कहां चाय की चुस्की में,
फाइव स्टार की शुगर क्यूब और ब्वाइल्ड वॉटर वाली फुस्की में।
इस कप से अच्छा तो वो अपना कुल्हड़ था,
जो चाय के साथ साथ दिलाता मिट्टी की खुशबू था।
कड़क मसालेदार चाय का मज़ा ही कुछ और था,
क्या जाने ये पीढ़ी, उस चाय के पीछे ज़ायका ही कुछ और था।

कहां वो बात है ग्रीन या ब्लैक टी में,
जो बात है मलाई वाली रजवाड़ी में।
ऐ आज की जेनरेशन एक बार लेकर तो देखो कुल्हड़ वाली चाय की चुस्की,
अगर अच्छी न हो तो याद भुला देना उसकी।
तो याद भुला देना उसकी..........

Hey Everyone
I hope you liked this work of mine. Although I have never tasted tea but yes have heard a lot about it. Just wrote some lines based on my experiences with tea lovers. Hope you'll love it.

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