यह कहानी शुरू होती है एक छोटे से गांव से जहा एक ईश्वर मिश्र नाम का कुम्हार रहता था|
उसके एक बेटा था जिसका नाम चिंतन मिश्र था, चिंतन का दिमाग हमेशा लोगों की मदद करने में और इतिहास में था वो घंटो घंटो भर आपने पिताजी की दुकान पे बैठके लोगों से आपने गांव के किस्से कहानियां और इतिहास की बातें सुन के बड़ा हुआ था।एक दिन गांव में तेज तूफान की वजह से एक पुल टूट गया था जिसको खड़े होके हर कोई देख रहा था, लेकिन कोई भी उसको सही करने के बारे में नहीं सोचा, चिंतन वही पास से जा रहा था तो उसने देखा सब लोग इकठ्ठा होके यह तमाशा देख रहे है लेकिन कोई भी इसको सही करने के बारे में नहीं सोच रहा।
तो चिंतन गया जंगल में और कुछ लकड़ियां काट के ले आया और पानी के तेज प्रवाह में उतरकर बांड को जोड़ने की कोशिश करने लगा और साथ में बोलना लगा " सबके साथ से पानी भी हारेगा " इसको सुनके थोड़ी देर में ही वहा खड़े सारे लोग पुल जोड़ने लगे तभी वहा से एक political पार्टी के हेड गुजर रहे थे उन्होंने देखा कि एक इंसान सबको काम करा रहा है और कर भी रहा है इसको देखके वो बहुत खुश हुए और वो भी सबकी मदद करने लगे फिर जब पुल जुड़ गाया तो वो चिंतन के पास गए और उससे कहा की बेटा में तुम्हे अपना शिष्य बनाना चाहता हु जो इस गांव की हालत बदले और सबको साथ लेके चले।
चिंतन ने बिना कुछ सोचे अध्यक्ष साहब को " हा " कर दिया लेकिन घर लौटते लौटते चिंतन के मन में सांधे था की क्या घर वाले चिंतन का यह जिंदगी बदल देना वाला फैसला स्वीकारेंगे की नही...
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पीढ़ी की सत्ता
Randomये कहानी है ऐसे शक्श की है जिसने कभी नही सोचा था कि उसका एक जिद आने वाली पीढ़ियों का भविषये बदल देगा।