Stree

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खुद को बार बार वक़्त दिया।।।।।।कभी मैं भी यही सोचती थी की बड़ी हो जाऊंगी एक सहजादा आएगा मुझे ले जाएग।।।।पर हम कितना कुछ ऐसा सोचते है जो की कभी एक्सिस्ट ही नही करता, सपनो के दुनिया से निकलने के एक वक़्त बाद असलियत बाहर आती है ।।।।।क्या अब मुझमे फीलिंग्स बची भी है।।।।।मुझे पता नही कउ कुछ फील नही होता । बार बार खुद को वक़्त देके देखा कुछ गलत कदम भी उठा लिया की लाइफ है हर बार सही रास्ते पे चल के देखा है।।।।। कभी रास्तों में गलतियाँ भी करते हैं ।।।।।।।रास्ते बदले गलतियाँ बदली पर आज भी सफर में ठहराव नही आया वही जिस्म की प्यास बुझने तलाक ही प्यार की पूजा करते है लोग।।।।प्यार दोबारा होगा  या न भी होता होगा शयद पर वो लड़की कमजोर नही जो एक बार गिरने के बाद दुबारा खुश रहना चाहती है।।।।।केहते है खुश रहने क लिए किसे की जरुरत नही होती ये एक झूठ है या सच अगर सच है तो ये कला मुझे भी सिखा दे कोइ।।।।।पैहली बार टूटने के बाद दर्द होता है पर बार बार टूटने पे दर्द कम होता है या बढ़ता चला जाता है ये नही पता आज भी।।।। कुन कोई और ज़िन्दगी का फालूदा बना के  चला जाता है। हाँ खुश हु मै जो हु मै पर आज समझ नही आता मेरे दिल की कौन है अंदर वो पहला प्यार जिसने साथ न छोड़ा या दूसरा जिसने साथ छोड़ के भी साथ न छोड।।।।।।काश ये आत्मा मर जाती या काश उस राजकुमार को बता पाती की उसके लिए कितना दुःखता ह ये दिल रोज़ थोड़ा थोड़ा मरता है ये दिल्।।।।।और मरते मरते दर्द होने के वजहः से ही जीने का एहसास होता है।।।।।वो ख़ालीपन ही तो कहता है हमसे की मुस्कराते रो दुसरों के सामने चाहे अंदर समंदर का सैलाब ही कउ न हो।।।।क्या तुम वही हो जो बचपन में थी?।।।।अगर हो तो कहा है तुम्हारी मासूम सी हसी जिसमें मिलावट न हो।।।कहं| है वो चेहरा जो बेदाग़ था, आज हर दाग एक दास्तान बताते है।।।।ये दाग मिटाए नही मिटति मिटटी की कई परत लगानी ही पड़ती है, बाहर की दुनिया के सामने ।।।।। क्या तुम्हारा मन वो छोटी सी चिड़िया जैसा  अभी भी उड़ना चाहता है? या थक के चूर हो चुका है और बस सदा के लिए स्थिर होना चाहता है? ।।।।।हाँ मै वही हु ।।।।।।पर बनाई गए हु एक स्त्री जो या तो पवित्र होती है या तो अपवित्र।।।। स्त्री वो गंगा का पानी है जो बार बार मैला हो कर भी खुद को पवित्र रखने की क्षमता रखता है।।।।।जो उसे खुद भी पता नही ।।।।।हाँ मै गंगा हु जो सबके पाप धो धो के मैली हो गए हूँ , खुद का अस्तित्वा और अस्मिता फिर भी बना के आज भी मै वो पवित्र गंगा ही कहलाती हूँ ।।।।।में स्त्री हु और हर स्त्री एक गंगा है।।।।।।

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⏰ पिछला अद्यतन: May 17, 2022 ⏰

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