टेबल पर रखी गर्म चाय में से धुँआ निकल कर हवा में घुल रहा था। कॉलेज कैंटीन में चहलपहल थी। अगर कहीं सन्नाटा था तो वो सिर्फ गर्म चाय रखे हुए उस टेबल पर जहाँ 3 कुर्सियां किसी की राह देख रही थी और एक कुर्सी पर सफेद एप्रन पहने, गले में स्टेथोस्कोप लटकाए, हाथ में एक्ज़ाम का क्वेश्चन पेपर, ब्ल्यू कलर का पेन और चहेरे पर तनाव लिए करीब 22 साल की एक लड़की बैठी थी। उसके एप्रन की बायीं साइड लगे हुए सिल्वर कलर के बैज पर ब्लेक कलर में नाम लिखा था "सहर खान"। जो पेपर सोल्व करने में मशरूफ नजर आ रही थी।
एक लड़की ने आ कर टेबल पर बैग रखा। पहना हुआ सफेद एप्रन निकाल कर कुर्सी के हैन्डल पर लटका दिया और सहर के क्वेश्चन पेपर में झांकने लगी।
टेबल पर रखा बैग देख सहर बोली, "पीछे क्यों खडी हो आप इशिका, बाजु में बैठ जाईए। साथ में मिल कर हमारे मार्क का प्रिडिक्शन करते है।"
बगल वाली कुर्सी में बैठते हुए इशिका बोली, "ओय हेल्लो, इंडिया-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच नहीं चल रहा है, जो तुम्हारे साथ हर पेपर का प्रिडिक्शन निकालने बैठ जाऊं। लास्ट पेपर था, एग्जाम खत्म। अब no प्रिडिक्शन, no स्टडी की बात। जो होगा वो रिज़ल्ट में देखा जाएगा।"
इशिका का बेफिक्र अंदाज़ में दिया हुआ जवाब सुनने के बाद भी सहर अपना क्वेश्चन पेपर सॉल्व करने में लगी रही। जिसे देख इशिका बोली, "क'मऑन बेबी, क्वेश्चन पेपर रख भी दो। समझ लो, हम हो गए MBBS, बन गए डॉक्टर, जोड़ लेंगें लोगों के पुर्जे, बचा लेंगे दुनिया!"
सहर, "आपके हाथों दुनिया खत्म ही ना हो जाए!"
इशिका, "वो सब छोड़। तुमने घर पर बात की?"
इशिका की तरफ बिन देखे ही सहर ने उत्तर दिया, "हम नहीं आना चाहते।"
जवाब सुन इशिका परेशान हो कर बोल उठी, "मैं घर पर बता चुकी हूं कि तुम भी आ रही हो। तुम साथ आ रही हो ये बता कर परमिशन मिली है मुजे। मना कर के हमारे बने बनाए प्लान पर बियर मत फ़ेंक।"
बियर शब्द सुन सहर बोली, "अभी तक हम मुंबई शहर में है, और आपके सिर पर बिन पिये अभी से ही बियर-दारू का नशा चढ़ रहा है। हम नहीं आने वाले आप लोगों के साथ।"
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