कुछ लॉयर चंडूल

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केस थे मेरे सब निपटा के,

कोर्ट का गाउन बैंड हटा के,

टी कैंटीन में मांगा चाय,

लॉयर मित्र ने पूछा हाय।

पूछा ग्यारह अभी बजा है,

कोट बैंड सब किधर चला है?

चाय चर्चा पर मेरी बात,

दबे हुए निकले जज्बात।

अंग्रेजों का है ये चोला,

अच्छा हीं जो मैने खोला,

ठंड बहुत पड़ती हैं यू.के.

बात यही कहता है जी.के.।

भारत का मौसम ना ठंडा,

फिर गाउन का कैसा फंडा?

ये तो अच्छी बात हुई है,

सर पे विग ना चढ़ी हुई है।

जात फिरंगी की क्यों माने?

निज पहचान से रहें बेगाने?

मेरे मित्र ने चिढ़ के बोला,

सबको एक तराजू तोला?

बैरिस्टर विग साथ नहीं है,

कुछ के माथे नाथ नहीं है,

बैरिस्टर विग की कुछ गाथा,

दूर करे सच में कुछ व्यथा ।

जिनके सर चंदा उग आते,

बैरिस्टर विग राज छुपाते।

फिर विग को क्यों कहें फिजूल?

कुछ तो लॉयर हैं चंडुल।

अजय अमिताभ सुमन

क्यों पढ़ा नहीं भूगोल?Where stories live. Discover now