मेरा नाम विजय है। घर में माँ भैया भाभी और में ऐसे ४ लोग है। मेरे भाई की नई नई शादी हुई थी और भाभी मेरी हम उम्र थी यानि २०-२१ की उम्र के करीब। जितनी सुन्दर वो दिखती थी उतनी ही दिल से भी सुन्दर है।
हम दोनों के बीच देवर भाभी वाली शरारती मस्ती होती थी। एक दिन भाभी अपने लिए एक नेकलेस लेकर आयी। घर पे कोई नहीं था तो मैने उस नेकलेस की तारीफ कर दी कि ये आप पर बहुत सूट करेगा. तो भाभी ने शरारत में कहा, "विजय ये हार मैंने अपने लिए नहीं आपके लिए लाई हूँ। साथ मे चूड़ी एयर रिंग नोज पिन भी लायी हूँ।"
मैं सुनकर शर्मा गया और केवल इतना ही कहा कि क्या भाभी आप भी! मैं कोई लड़की थोड़ी हूँ? तो वो बोली "तो मैं तुम्हें लड़की बना दूँगी। इसमे क्या है?"
मैं:-इम्पॉसिबल
भाभी:-चैलेंज?
मैं:-जो आप समझो।
भाभी:-ओके तो मैं आपको एक दिन मेरे सारे स्टफ स्टाफ पहनाकर रहूँगी
मैं:-ख्वाब देखती रहो आप।
इस तरह उस दिन की बातें'वही ख़तम हो गयी। १५ दिनों बाद भाई ६ माह के ट्रेनिंग के लिए बंगलोर चले गया। ३ दिन बाद भाभी संतोषी माता के मंदिर से आयी और एक कोने मे जाकर रोने लगी। तो मेरी माँ ने वजह पूछी। तो वो बोली, "मंदिर में उनको एक नाथ बाबा मिले थे। जैसे ही मैंने उनके पाव छुए तो उन्होंने उनके पति (मेरे भाई)के मरने की भविष्यवाणी किये।"
माँ नाथबाबाओ को बहुत मानती है)माँ:- हे राम!पर बहु वो कुछ उपाय भी तो बताये होंगे?
भाभी:-(रोते हुए) है मगर कठिन है बहुत।
माँ:-बताओ तो सही।
भाभी:-वो बताये कि एक कुंवारे लड़के को मेरे कपडे पहनाकर सोलह शृंगार करवाकर उपवास(व्रत)करवाके रात में आरती करवाकर यदि व्रत तोडा जाये और ऐसा अगर दो दिन लगातार किया जाये तो उन्हें कुछ नहीं होगा(और वो रोने लगी)
माँ:-तो बहु करवा लेंगे रोती क्यों हो?
भाभी:-मगर कैसे माँ जी?
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भाभी की शरारत
Короткий рассказभाभी और देवर के बीच शरारत तो चलती रहती है। मगर मेरी भाभी तो एक कदम आगे निकली और उनकी वजह से मुझे दो दिन एक स्त्री बनकर रहना पड़ा और घर के सारे काम भी करने पड़े, और घर के सारे लोगों ने उनका साथ दिया। तो आखिर उन्होंने ये कैसे किया कि मेरी माँ भी इसमे उन...