Untitled Part 44

2.5K 79 26
                                    

शाम  को  अभय  घर  आया। विनय  उस  समय  घर  पर  नही  था।

“तुमने  इतनी  जल्दी  शादी  क्यों  की?” अभय  ने  पूछा।

“कुछ  हालात  ही  ऐसे  हो  गये  थे  की  मुझे  शादी  करनी  पड़ी।”

“क्या  हुआ  था?”

“बताती  हूँ ,” कहकर  आयशा  ने  शुरू  से  अंत  तक  की  सारी  कहानी  सुना  दी  की  कैसे  वो  विनय  से  मिली?उसकी  शादी  कैसे  हुई?उसने  क्या  कुछ  सहा?सब  कुछ  उसने  अभय  से  कह  दिया।

आयशा  की  कहानी  सुन  कर  अभय  की  आँखों  में  आँसू  आ  गये।

“तुम  इतना  सब  कुछ  अकेले  सह  रही  थी।”

“नही,विनय  का  साथ  था।”

“क्या  कोई  इतना  अच्छा  हो  सकता  है?”

“पता  नही,पर  विनय  है।”

कुछ  देर  तक  दोनों  चुप  रहे  फिर  अभय  जाने  लगा,तभी  विनय  आ  गया  पर  अभय  विनय  से  बिना  कुछ  बोले  ही  चला  गया।

“अभय,  क्यों  आया  था?”विनय  ने  पूछा।

“मुझसे  मिलने।”

“थोड़ा  दूर  रहो  इससे।”

“क्यों?तुम्हे  वो  पसंद  नही  या  मुझ  पर  भरोसा  नही।”

“कोशिश  करो  आज  के  बाद  ना  मिलने  की।”

इतना  कहकर  विनय  संध्या  के  साथ  खेलने  लगा। आयशा  भी  कुछ  नही  बोली।

अगले  दिन  विनय  के  जाने  के  कुछ  देर  बाद  ही  अभय  आयशा  से  मिलने  के  लिए  आया। आयशा  को  उसके  इस  तरह  आने  की  कोई  उम्मीद  नही  थी।

“तुम  इतनी  सुबह।”

“मुझे  तुमसे  कुछ  बात  करनी  है।”

“बोलो।”

“अंदर  बैठ  कर  बात  करें।”

आयशा  उसे  मना  नही  कर  पायी,बेमन  से  उसने  उसे  अंदर  आने  के  लिए  कहा।

“कहो,क्या  बात  करनी  है?”

“आयशा, विनय  तुम्हें  धोखा  दे  रहा।”

“कोई  भी  बात  करो  पर  विनय  के  बारे  में  कुछ  नही।”

“मुझे  सिर्फ़  विनय  के  बारे  में  ही  बात  करनी  है।”

“तो  फिर  जा  सकते  हो।”

“आयशा, विनय  ने  ही  तुम्हारी  जिंदगी  बर्बाद  की  है। वो  अच्छा  नही  है।”

“कैसा  भी  हो  ,कुछ  भी  किया  हो  मुझे  कुछ  नही  जानना,तुम  जाओ  यहाँ  से,”आयशा  ने  कहा।

“समीर,विनय  का  दोस्त  है  और  उसके  पास  इतने  पैसे  अचानक  नही  आए  हैं,सब  कुछ  उसके  पास  पहले  से  था। तुम्हारे  साथ  जो  कुछ  भी  हुआ  है  वो  इत्तेफ़ाक  नही  था  बल्कि  विनय  की  चाल  थी,” अभय  ने  कहा  और  चला  गया।

कुछ  देर  बाद  विनय  घर  आया  तो  उसने  देखा  की  आयशा  सोफे  पर  बेहोश  पड़ी  है  उसके  मुँह  से  झाग  निकल  रहा  था। वो  उसे  तुरन्त  हॉस्पिटल  लेकर  गया। आयशा  के  लिए  विनय  की  आँखों  में  पहली  बार  आँसू  आए  थे।

विनय  को  कुछ  समझ  नही  आया  की  आयशा  ने  ऐसा  क्यों  किया। दो  दिन  हो  गये,इन  दो  दिनों  में  आयशा  की  तबियत  में  पूरी  तरह  से  सुधार  आ  चुका  था  क्यों  कि  जब  उसे  हॉस्पिटल  लाया  गया  था  तब  तक  जहर  उसके  शरीर  में  पूरी  तरह  से  नही  फैला  था।

दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017Where stories live. Discover now