तुम इश्वर तुम ग्यानी तुम माता तुम पिता हो,
जीवन दर्शन तुझसे तुम कॄष्ण तुम गीता हो!जिनके हो मुख गौरव जिनका सुर स्वयंवर,
तुम स्वामी आशा तुम ही ब्रह्म कहलाता हो!भूले को तुम राह दिखाए बिछड़े को मिलाए,
संसार मे प्यासे को गंगा जल सा मिलता हो!हम शिष्य तुम्हारे नमस्कार हमारा तुझको,
दुनिया छोड़कर जो सच कि राह चलता हो!मंदिर मन है तुम्हारा ना अंतर ना भेद कोई,
जो छाँव दे दे सबको जो धूप से बचाता हो!बदले की न भावना तुझमे अगर गैर लड़े तो,
तुम समंदर तुम निशा तुम भाषा आस्था हो!हमको मुआफ़ करना हमसे भूल अगर हो,
तुम स्वामी तीनो जगत के जो शीष गुण गाता हो!