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चाँद रौशन है कितना ये कल शाम से...¡!
अब न पूछो ये क्यों इतना काफिर फीरे...¡!
तेरे दीदार का कुछ नशा यूँ चढा...¡!
ये अमावस में भी रश्क करता दिखे...¡!

Quoted by-- Aria

Hiqaayat-e-ishqWhere stories live. Discover now