मुख़ौटा

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मेरा चेहरा बन गया  है,
जो मुख़ौटा  मैंने था पहना,
हिम्मत आ गयी है,
सीख गयी हूँ दर्द सहना,
जख्मों से खून रिसते हैं,
पर बंद हो गए अश्क बहना,
अच्छा लगने लगा है,
अब इस मुख़ौटे में रहना।

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