तलब

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होंगे हजारों तलबलदार आपके
मेरे दोस्त , हमनवा सब आप ही हो
ढेरों महफ़िल सजती होंगी आपके दर पर
मेरी हर शाम की शान आप ही हो
आपकी दुनिया में होंगे लोग कई
मेरे अंधेरे के चिराग सिर्फ आप ही हो
ऐसा नहीं है, कि कोई दोस्त बनाना नहीं चाहता मुझे
मगर मसला यह है कि, इस दिल की चाहत सिर्फ आप ही हो
यूं तो मशरूफ है ज़िन्दगी मेरी भी
पर मेरे हर लम्हे के हकदार सिर्फ आप ही हो
करने को तो बातें है कई
पर इन लबों पर हर वक़्त जिसका ज़िक्र हो
वो शक्स सिर्फ आप ही हो
करना तो बहुत कुछ चाहते है आपके लिए
बदले में सिर्फ आपका वक़्त मांगते हैं
आपसे इश्क़ पाने की उम्मीद करना
तौहीन होगी हर लम्हे की
ये जानते हैं, फिर भी इस मासूम दिल की तलब सिर्फ आप ही हो

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