really sorry for late update.... there is an internet issues...so didn't able to upload yesterday
aj ek msg pada what's app pe don't know sahi h ya nahi but accha laga...
which is about hope
पति पत्नी के बीच प्रेम क्या होता है कोई विजेंद्र सिंह राठौड़ से सीखे!!
अजेमर के निवासी विजेंद्र सिंह राठौड़ और उनकी धर्मपत्नी लीला की है। 2013 में लीला ने विजेंद्र से आग्रह किया के वह चार धाम की यात्रा करना चाहती हैं। विजेंद्र एक ट्रेवल एजेंसी में कार्यरत थे। इसी दरमियां ट्रैवेल एजेंसी का एक टूर केदारनाथ यात्रा जाने के लिये निश्चित हुआ। पतिपत्नी ने अपना बोरिया बिस्तर बांधा और केदारनाथ जा पहुंचे।
विजेंद्र और लीला एक लॉज में रुके थे। लीला को लॉज में छोड़ विजेंद्र कुछ दूर ही गये थे के चारों ओर हाहाकार मच गई। उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ का उफनता पानी केदारनाथ आ पहुंचा था। विजेंद्र ने बामुश्किल अपनी जान बचाई।
मौत का तांडव और उफनते हुये पानी का वेग शांत हुआ तो विजेंद्र बदहवास होकर उस लॉज की ओर दौड़े जहाँ वह लीला को छोड़ कर आये थे। परन्तु वहाँ पहुंच कर जो नज़ारा दिखा वह दिल दहला देने वाला था। सब कुछ बह चुका था। प्रकृति के इस तांडव के आगे वहां मौजूद हर इंसान बेबस दिख रहा था।
तो क्या लीला भी .....
नहीं नहीं। ऐसा नहीं हो सकता।विजेंद्र ने अपने मन को समझाया।
"वह जीवित है" विजेंद्र का मन कह रहा था। इतने वर्षों का साथ पल भर में तो नहीं छूट सकता।
परन्तु आस पास कहीं जीवन दिखाई नहीं दे रहा था। हर ओर मौत तांडव कर रही थी। लाशें बिखरी हुई थी। किसी का बेटा किसी का भाई तो किसी का पति बाढ़ के पानी मे बह गया था।
विजेंद्र के पास लीला की एक तस्वीर थी तो हर समय उसके पर्स में रहती थी। अगले कुछ दिन वह घटनास्थल पर हाथ मे तस्वीर लिये घूमता रहा। हर किसी से पूछता "भाई इसे कहीं देखा है"।
और जवाब मिलता .........
"ना"
एक विश्वास था जिसने विजेंद्र को यह स्वीकारने से रोक रखा था के लीला अब इस दुनिया में नहीं है।
दो हफ्ते बीत चुके थे। राहत कार्य जोरों पर थे। इसी दरमियां उसे फौज के कुछ अफसर भी मिले जिन्होंने उससे बात की। लगभग सबका यही निष्कर्ष था के लीला बाढ़ में बह चुकी है।
विजेंद्र ने मानने से इनकार कर दिया।
घर मे फोन मिला कर बच्चों को इस हादसे के बारे में सूचित किया। बच्चे अनहोनी के डर से घबराये हुये थे। रोती बिलखती बिटिया ने पूछा के "क्या अब माँ नहीं रही" तो विजेंद्र ने उसे ज़ोर से फटकार दिया और कहा "वह ज़िंदा है "।
एक महीना बीत चुका था। अपनी पत्नी की तालाश में विजेंद्र दर दर भटक रहा था। हाथ मे एक तस्वीर थी और मन मे एक आशा।
"वह जीवित है"
इसी बीच विजेंद्र के घर सरकारी विभाग से एक फोन आया। एक कर्मचारी ने कहा के लीला मृत घोषित कर दी गयी है और हादसे में जान गवां चुके लोगों को सरकार मुआवजा दे रही है। मृत लीला के परिजन भी सरकारी ऑफिस में आकर मुआवजा ले सकते हैं।
विजेंद्र ने मुआवज़ा लेने से भी इंकार कर दिया।
परिजनों ने कहा के अब तो सरकार भी लीला को मृत मान चुकी है।
अब तलाशने से कोई फ़ायदा नहीं है। परन्तु विजेंद्र ने मानने से इनकार कर दिया। जिस सरकारी कर्मचारी ने लीला की मौत की पुष्टि की थी उसे भी विजेंद्र ने कहा ....
"वह जीवित है"
विजेंद्र फिर से लीला की तालाश में निकल पड़े। उत्तराखंड का एक एक शहर नापने लगे। हाथ मे एक तस्वीर और ज़ुबाँ पर एक सवाल " भाई इसे कहीं देखा है?" और सवाल का एक ही जवाब
"ना"
लीला से विजेंद्र को बिछड़े अब 19 महीने बीत चुके थे। इस दरमियां वह लगभग 1000 से अधिक गाँव मे लीला को तालाश चुके थे।
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His Maid ( completed )
RomanceSid's pov..... Just a one night with her...n I am feeling like have her everyday.....I don't know where she suddenly gone.... I am finding her from last 2 years..... I want her desperately..... Shehnaz's pov .... I just hate that day....I lost my vi...