लम्हे

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बीते दिनों के कुछ लम्हे,मैं भी आज चुरा लूँ क्या?थोड़ी सी हिम्मत कर,मैं भी आज मुस्कुरा लूँ क्या?

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बीते दिनों के कुछ लम्हे,
मैं भी आज चुरा लूँ क्या?
थोड़ी सी हिम्मत कर,
मैं भी आज मुस्कुरा लूँ क्या?

लम्हे…
कुछ खट्टी-मीठी यादों के,
कुछ अनकही बातों के।

आज ज़िंदगी की इस उधेड़बुन में, जहाँ हर कोई बस अपनी ही धुन में मग्न होता जा रहा है, यह लम्हे ही तो हैं जिन्हें दोबारा जीने की लालसा हमें एक दूसरे से बाँधे हुए है।

चाहे शाम की चाय के साथ माँ के हाथों के पकौड़ों का अचानक बनना हो, या फिर पापा का ऑफिस से वापस आते हुए आइस-क्रीम ले आना हो, ज़िंदगी इन्हीं अनगिनत छोटे-छोटे लम्हों से ही तो है।

‘लम्हे’ ज़िंदगी के कुछ छुए-अनछुए पहलुओं पर लिखी गई कविताओं का एक संग्रह है। आशा करती हूँ के आप इन कविताओं से खुद को जोड़ पाएंगे।

With love,
Stella ❤️

लम्हे (हिन्दी कविता संग्रह) जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें