Part - 4

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आयशा - " हा, तो आपको प्रोब्लम क्या है,मेरे ऑफर में,पैसे कम है या  . . ? "

मैने बड़ी मुश्किल से बीयर का घुट पीते हुए,गला तर किया .
पता नही उसके चेहरे पे ऐसा क्या था,कि नज़रें मिलाने से डर सा लग रहा था .

मै - " देखिये बात पैसों की नही है,मै यहाँ खुश हूँ "

उसने कुछ पल के लिये मेरे चेहरे पे नज़र रखी,शायद कुछ पढ़ने की कोशिश कर रही हो,और कमबख्त पढ़ाई में काफी तेज निकली.दो पल में ही भांप लिया .

आयशा - " देखो आपको लगता होगा ना,कि  अमीर बाप की बेटी है मुझे खरीदना चाहती है,पर ऐसा कुछ नही है,मेरी कुछ पर्सनल प्रोब्लम है जिनसे मै बहुत तंग हूँ,ड्रिंक करके कोशिश करती हूँ पर सकून नही,आपको गाते सुना आराम मिला तो सोचा . . . . "

वो थोड़ा रुकी,मेरी आँखें उससे मिली मुझे आँखों में दर्द और उदासी दिखाई दी,शायद वो सही थी .

" खैर ये आपकी मर्जी है मै आपको और जिद नही कर सकती,और हाँ ना ही कोई हमदर्दी माँग रही हूँ आपसे,हमारा सौदा साफ है आप गायेन्गे,मै उसका पैसा दूँगी बस,अगर मंजूर है तो हा नही तो मेरी ये दोस्त तो है ही " उसने बीयर की केन दिखाते हुए बोला.

अजीब उलझन थी ये,कभी दिल करता इस पे भरोसा करूँ कभी फ़िर . . . . .

पर ये उसे कह नही पाया मै . . !

मै - " ओके,मुझे दो दिन का टाइम दो,मै बताता हूँ "

आयशा - " हम्म,ठीक है,तो कहाँ छोडू आपको . . "

मै - " बस यही आगे वाले नाके पे छोड़ दो,मै वही पास में रहता हूँ "

उसने चश्मा पहना गाड़ी स्टार्ट की और चल दी .

मुझे उतार कर उसने बॉय बोला और चली गयी .

मै सोच में डूबा रूम पे पहुँचा,दीपक मेरा इंतजार कर रहा था .

दीपक झा मेरा रूममेट था,पटना का रहने वाला था.

दीपक - " क्या बे,काहे शक्ल लटकाए फ़िर रहे हो . . ? ? "

मै - " अरे नही कुछ नही बस यू ही . . "

दीपक - " हम को क्या चु समझे हो . . ?,शक्ल में साफ साफ लिखा है कि कही से बजवा के आ रहे हो , हुआ क्या,ये बताओ वो भी तुरंत . . "

मै - " अरे भाई,. . . . "

मैने उसे भी सब बताया . . !

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