Part - 5

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दीपक मेरी बातें ऐसे सुन रहा था जैसे भारत पकिस्तान की शांति वार्ता चल रही हो,इतना सीरियस मैने उसे कभी नही देखा था .
मुझे खुद को डर लगने लगा था दीपक की शक्ल देखकर कही मामला ज्यादा ही सीरियस तो नही . . ? ?

खैर मैने अपनी बात पूरी की,दीपक ने किसी जज की तरह फैसला सुनाने वाला पोज दिया .

दीपक - " बेटा,कुछ यू समझ लो की उपरवाले की मेहरबानी छप्पर फाड़ के हुई है तुमपर "

मै - " मतलब "

दीपक - " मतलब ये मेरे लाल,लौंडिया फिदा हो गयी है तुमपर "

मै - " क्या फैक रहा है . . और हा आयशा नाम है उसका क्या लौंडिया लौंडिया कर रहा है "

दीपक - " ओहो तो तुम भी शहीद हो गये . . ?,आयशा क्यों भाभी बोल देते है काहे रो रहे हो . ? ? "

मै - " ऐसा कुछ नही है "

दीपक - " अब ये भी तुम बताओगे हमें,साला पी एस डी किये है हम आशिकी में "

मै - " पी एच डी होता है "

दीपक - " हा हा वही,साला अब हमारी जरनल नालेज सही करने मत बैठो"

मै - " अरे कुछ समझ नही आ रहा हमें ऊपर से तुम और टेंशन मत दो "

दीपक - " अरे टेंशन काहे का खुद पे भरोसा नही क्या,कोई कमी बेसि है क्या . . ?,साला सुबह सुबह दो घंटे जिम में बीता के बॉडी बनाये हो,अब वक़्त आ गया है फ़ायदा उठाने का समझे. "

मै - " साले घटिया आदमी,रहने दे तेरी सलाह नही चहिये हमें "

दीपक - " ये भगवान भी अखरोट उसे ही क्यों देता है जिसके दाँत नही होते,अरे साला लड़की सामने से तंदूरी चिकन परोस रही है तुम पंडित बने फ़िर रहे हो . . ? "

मै - " भाई तू माफ कर मुझे . . "

दीपक मुझे ज्ञान देता रहा,मै टॉवल उठा के बाथरूम में घुस गया.

पर दीपक की बातें कही ना कही मेरे दिमाग में कबड्डी खेलती रही . . !

सुबह सुबह मै अमोल भाई के पास पहुँच गया . . !

अमोल भाई को एक अलग ही एंगल दिखाई दिया स्टोरी में .

अमोल भाई को लगने लगा कि लड़की को सहारे की ज़रूरत है,और मुझे आयशा को सहारा देना ही चहिये .

अमोल भाई ने मुझे समझाने को जो भी ज्ञान दिया वो पहले पेज में आपको बता चुका हूँ मै .

अब समझ नही आ रहा था कि करूँ तो क्या करूँ . ? ?

आयशा,कभी मासूम बेबस लगती कभी घमंडी अमीरज़ादी . . !

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