Part -29

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"मुझे पता था आप आयेंगी,पर इतना टाइम बाद ये नही पता था "दीपक की आवाज़ में गुस्सा साफ साफ दिख रहा था मुझे .

आयशा -"पर वीर है कहाँ मुझे उससे बात करनी है "

दीपक -"अब क्या बात करनी है ..??,क्या बाकी रह गया मैडम "

आयशा -"देखो दीपक,मुझे वीर से बात करनी है मेरा वक्त खराब मत करो "

दीपक -"वक्त तो आपने अपना खुद खराब किया है,वापस चली जाओ मैडम आपका कीमती वक्त बर्बाद ही होगा यहाँ,दीपक अब नही मिलने वाला आपको .."

आयशा -"ऐसे कैसे नही मिलने वाला,उसे मेरे सवालों के जवाब देने है "

दीपक -"ओह तो मैडम अपने जवाब लेने आयीं है .??, सॉरी जवाब तो नही मिल सकते क्योंकि वीर तो कब का मुम्बई छोड़ के जा चुका "

कई बार हिन्दी फिल्मों में देखा होगा ना स्पेशली पूरानी फिल्मों में कि हिरोइन को ऐसी ख़बर सुनके झटका लगता है,एक भयंकर बैक ग्राउंड म्यूज़िक बजता है चक्कर सा आता है ..??

आज तक मै भी ये सब को मजाक या नौटंकी समझती थी,पर ना जाने क्यों ये सब खुद में फील कर रही थी मै ..????

दीपक पहले तो गुस्से से ही बात करता रहा,पर जब उसे मेरी हालत का पता चला उसने बताया कि उस  सुबह वीर घर आया,बहुत लूटा हुआ सा लग रहा था .
चुपचाप अपने बैग पैक किये और चला गया जाने कहाँ ..??

दीपक और अमोल भाई ने बहुत समझाया पर जैसे उसे कुछ सुनाई ही ना दे रहा हो ...!

वो नही रुका ..!

बस ये बोल गया कि आयशा को कभी ना बताना कि वो कहाँ है ..!

आयशा -"प्लीज़ .?"

दीपक -"अरे क्या प्लीज़,मुझे खुद को नही पता वो कहाँ गया .???"

मै दीपक के आगे बहुत रोयी पर दीपक को शायद सच में नही पता था कि वीर गया कहाँ ..???

तू ज़रूरी सा . . . . !Où les histoires vivent. Découvrez maintenant