"कभी जलाया कभी बुझाया"

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    कभी जलाया कभी बुझाया
          तुमने मुझको दीप समझ कर

     पर न जाना सदा जला हूँ
           तुम्हें रोशनी देने को मैं

     अंधियारा रहता कुटिया में
           जीवन में तेरे मेरे बिन

    शोणित अपना जला दिया है
          सब कुछ अर्पण कर देने को

     फिर भी तुमने बुझा दिया मन
           सारहीन सा उसे समझ कर

     कभी जलाया कभी बुझाया
          तुमने मुझको दीप समझ कर ।

KavyangaliWhere stories live. Discover now