परिंदो का सफर

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परिंदो का सफर

चुपचाप, हाँ चुपचाप, हवायें हो जैसे,
कुछ बातें चली, साँसे थमी,
दिल के कारवाँ उठे,
मंज़िल की ओर बढ़े.
मुस्कुराते, शरमाते.
छुपते छुपाते.
दास्तान वो एक बनाने चले!


दो परिंदे, हाँ अंजान परिंदे.
एक आशियाना बनाने चले..!!


सफ़र ये है बड़ा, बहुत..!
सफ़र ये है बड़ा, बहुत..!
थामे कोई हाथ तो मैं आगे चलूं,
तेरे बिन मैं अब अकेले क्या करूँ!





बात मैं एक सच, तुमसे कहूँ,
कौन है अपना यहाँ ये कैसे कहूँ,
हैं तेरे दिल मैं अगर छुपे सपने कई,
उन्हे अपने कंधो पे बिठा ले चलूं!


हाथ मे अगर हाथ हो, चलना अगर हमे साथ हो,
कारवाँ रुके तो एक छोटी सी बात हो,
हम है अकेले, तुम भी अकेले,
चलो अकेलेपन से कुछ सौदे करे,
और फिर से अपने दिलों के कारवाँ उठे,
मंज़िलो की ओर बढ़ें! 
मंज़िलो की ओर बढ़ें!



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- MisterAugust

दरवाजे पर दस्तकDonde viven las historias. Descúbrelo ahora