तुम कहती हो तो खुद को कमरे में क़ैद कर लेता हूँ
आदतें है जो मेरी काली, उन्हे सफेद कर लेता हूँ।
जानता हूँ यह जिस्म बन गया है अब कारखाना ,
इसे फिर से घर बनाने की जद्दोजहद कर लेता हूँ।
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दरवाजे पर दस्तक
Poetry[Highest rank: 34] तेरी मासूमियत को मेरी रूह चूमती थी, तेरी रूह को मेरी नवाजिश रास आती थी! It's a collection of my Hindi/Urdu Poetry.
क़ैद
तुम कहती हो तो खुद को कमरे में क़ैद कर लेता हूँ
आदतें है जो मेरी काली, उन्हे सफेद कर लेता हूँ।
जानता हूँ यह जिस्म बन गया है अब कारखाना ,
इसे फिर से घर बनाने की जद्दोजहद कर लेता हूँ।