chapter - 3rd - Raghu ka badla

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और फिर मैं और सुनील भी अपने घर आ गए ।

| शाम को 8:00 बजे | ⌚ |

हम खाना खा कर टहल रहे थे । 👬

सुनील - हाँ , तो फिर कुछ बात आगे बड़ी ।

मैं - दोस्त बन गयी वो मेरी और क्या ।

सुनील - ohoo ... मतलब अब उसे हम भाभीजी बुलाना चालू कर दें । 😉

मैं - बिलकुल .... कोई शक़ ।

सुनील - अरे ... आप पर कौन शक कर सकता है गुरूजी , आप तो महान हैं । 😆

मैं - अबे चल अब अपनी ये 📜 सुनील पुराण 📜 बन्द कर ।

और बस हम दोनों यूँ ही बातें किये चले जा रहे थे।
कि तभी कुछ लोग motorcycle से हमारी ओर आये ।

कुछ 5 - 6 लोग होंगे । 👥

और आते ही उनमे से एक ने मुझे जोरदार धक्का मारा जिससे में नीचे जा गिरा । मैनें देखा कि वो और कोई नहीं बल्कि रघु था । जिसको मैनें सारे college के सामने तमाचा मारा था ।

रघु - बेटा बहुत होशियार बन रहा था ना तू ... रुक अब तेरी सारी होशियारी निकालता हूँ ।

सुनील - अबे चल जा ... ये धमकी किसी और को देना।

रघु अपनी bike से उतरा ( उसके हाथ में एक hockey stick 🎿 थी ) और उसने सुनील के पैर पर एक जोरदार वार किया । जिससे सुनील जमीन पर गिर गया ।

" इतना मारो इनको ... साले अपनी शक्ल भी न पहचान पाएं ," रघु का इतना ही कहना था कि ... उसके सारे चमचे हमारी ओर बड़े और बड़ी बेरहमी से दोनों को पीटा । हम दोनों दर्द से कराह रहे थे । और वो अपना बदला ले कर जा चुके थे ।

जैसे तैसे ... गिरते उठते हम अपने घर पहुंचे ।

अगले दिन सुबह | घर पर |

अगले दिन सुबह | घर पर |

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तू चाँद सा ✓Where stories live. Discover now