भाग-3

292 6 0
                                    


'' 'क्या तुम दोनों में सब ठीक चल रहा है? कैसा इनसान है वह जिसे न अपने बच्चे की परवाह है न पत्नी की.' एक दिन मैं ने पूछ लिया.

''हैरानपरेशान थे हम. 2-3 दिन सुनयना हमारे ही घर पर रही. उस के बाद अपने घर चली गई. यह कहानी क्या कहानी है हम समझ पाते इस से पहले एक दिन सुनयना ने हमें बताया कि वह हम से इतने दिन तक झूठ बोलती रही. दरअसल, उस का पति किसी और लड़की के साथ भाग गया है और उस के मातापिता भी इस कुकर्म में उस के साथ हैं.

''हम पतिपत्नी तो जैसे आसमान से नीचे गिरे. सुनयना के अनुसार उस के मायके वाले अब पुलिस केस बनाने की सोच रहे हैं. जिस लड़की के साथ गिरीश भागा है वे भी पूरा जोर लगा रहे हैं कि गिरीश पकड़ा जाए और उसे सजा हो. हक्केबक्के रह गए हम. हैरानी हुई इस लड़की पर. बाहरबाहर क्या होता रहा इस के साथ और भीतर यह हमें क्या कहानी सुनाती रही.

''सुनयना का कहना है कि वह शर्म के मारे हमें सच नहीं बता पाई.

'' 'अब तुम क्या करोगी...ऐसा आदमी जो तुम्हें बीच रास्ते में छोड़ कर चला गया, क्या उसे साथ रखना चाहोगी?'

'' 'महिला सेल में भी मेरे भाई ने रिपोर्ट दर्ज करवा रखी है. बस, मेरा ही इंतजार है. जैसे ही केस रजिस्टर हो जाएगा वह और उस के मातापिता 7 साल के लिए अंदर हो जाएंगे. वकील भी कर लिया है हम ने.'

'' 'परेशान हो गए थे हम.

'' 'तुम नौकरी करोगी या अदालतों और वकीलों के पास धक्के खाओगी. रुपयापैसा है क्या तुम्हारे पास?'

'' 'रुपयापैसा तो पहले ही गिरीश निकाल ले गए. लौकर भी खाली कर चुके हैं. मेरे नाम तो बस 1 लाख रुपए हैं.'

''मैं सोचने लगा कि अच्छा हुआ जो बच्चा चल बसा. ऐसे पिता की संतान का क्या भविष्य हो सकता था. यह अकेली लड़की बच्चे को पालती या नौकरी करती.

'' 'गिरीश को सजा हो जाएगी तो उस के बाद क्या क रोगी. क्या तलाक ले कर दूसरी शादी करोगी? भविष्य के बारे में क्या सोचा है?'

'' 'मेरी बूआ कनाडा में रहती हैं, उन्होंने बुला भेजा है. मैं ने पासपोर्ट के लिए प्रार्थनापत्र भी दे दिया है.'

''मेरी पत्नी अवाक् थीं. यह लड़की पिछले 3-4 महीने से क्याक्या कर रही है हमें तो कुछ भी खबर नहीं. सेवा, देखभाल करने को हम दोनों और वह सब छिपाती रही मुझ से और मेरी पत्नी से भी. इतना बड़ा दिल और गुर्दा इस लड़की का जो अपने टूटे घर का सारा संताप पी गई.

''मुझे कुछ ठीक नहीं लगा था. इस लड़की के बारे में. ऐसा लग रहा है कि सच हम आज भी नहीं जानते हैं. यह लड़की हमें आज भी सब सच ही बता रही होगी विश्वास नहीं हो रहा मुझे. वास्तव में सच क्या होगा कौन जाने.

''बड़बड़ा रही थीं मेरी पत्नी कि कोई बखेड़ा तो हमारे गले नहीं पड़ जाएगा? कहीं यह लड़की हमें इस्तेमाल ही तो नहीं करती रही इतने दिन. इस से सतर्क हो जाना चाहते थे हम. एक दिन पूछने लगी, 'आप ही बताइए न, मैं क्या करूं. गिरीश अब पछता रहे हैं. वापस आना चाहते हैं. उन्हें सजा दिलाऊं या माफ कर दूं.'

'' 'इस तरह की लड़ाई में जीत तो बेटा किसी की नहीं होती. लड़ने के लिए ताकत और रुपयापैसा तुम्हारे पास है नहीं. मांबाप भी जिंदा नहीं हैं जो बिठा कर खिलाएंगे. भाईभाभी कब तक साथ देंगे? और अगर इस लड़ाई में तुम जीत भी गईं तो भी हाथ कुछ नहीं आने वाला.'

'' 'गिरीश को स्वीकार भी तो नहीं किया जा सकता.'

'' 'मत करो स्वीकार. कौन कह रहा है कि तुम उसे स्वीकार करो पर लड़ने से भी मुंह मोड़ लो. उस के हाल पर छोड़ दो उसे. दूसरी शादी कर के घर बसाना आसान नहीं है. डाल से टूट चुकी हो तुम...अब कैसे संभलना है यह तुम्हें सोचना है. अदालतों में तो अच्छाखासा तमाशा होगा, अगर सुलहसफाई से अलग हो जाओ तो...'

'' 'मगर वह तो तलाक देने को नहीं मान रहा न. वह साथ रहना चाहता है और अब मैं साथ रहना नहीं चाहती. धमकी दे रहा है मुझे. घर की एक चाबी तो उस के पास भी है न, अगर मेरे पीछे से आ कर सारा सामान भी ले गया तो मैं क्या कर लूंगी.'

'' 'इस महल्ले के सभी लोग जानते हैं कि वह तुम्हारा पति है. कोई क्यों रोकेगा उसे, ऐसा है तो तुम घर के ताले ही बदल डालो फिर कैसे आएगा.'

आज का इनसानWhere stories live. Discover now