निष्क्रांत संपत्ति (Evacuee property)

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वर्ष 1947 में ब्रिटिश भारत के संबंध में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित होने के उपरांत भारत देश का विभाजन हुआ। भारत के पूर्वी और पश्चिमी छोरो पर स्थित मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र को मिलाकर एक पृथक राष्ट्र पाकिस्तान का उदय हुआ। इस विभाजन के उपरांत बहुत से व्यक्ति पश्चिमी पाकिस्तान चले गये। यहाॅ पर पश्चिमी शब्द इस लिये उपयोग में लाया गया है क्योंकि भारत से पृथक हुये मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र तब दो भागों में विभाजित थे। पूर्वी पाकिस्तान जो कालान्तर में एक नये स्वतंत्र राष्ट्र बांग्ला देश के नाम से अस्तित्व में आया और दूसरा हिस्सा पश्चिमी पाकिस्तान जो पाकिस्तानी गणराज्य की पश्चिमी इकाई थी कालान्तर में पाकिस्तान रास्ट्र के नाम से जानी गयी।विभाजन के उपरांत लाखों लोगो ने धर्म के नाम पर विभाजन रेखा के दोनो ओर पलायन किया। भारत ने तो अपना नया संविधान रचकर 1950 में अपना भी लिया परन्तु पाकिस्तान का कोई संविधान नहीं होने कारण वह पूर्व में 1935 के भारत सरकार अधिनियम के आधार पर शासित होता रहा। पाकिस्तान का पहला संविधान 1956 में बन सका परन्तु पाकिस्तानी राष्ट्रपति इसकंदर मिर्जा ने इसे निलंबित कर 1958 में मार्शल ला लगा दिया। पलायन की ओर वापिस लौटते हैं तो हम पाते हैं कि भारत छोडकर पाकिस्तान चले गये व्यक्तियों की संपत्तियां यही छूट गयी थीं। इन संपत्तियों में चल संपत्ति के साथ साथ अचल संपत्ति के रूप में खेत और मकान आदि भी यही छूट गये। इस प्रकार छूटी हुयी संम्पत्ति को निष्क्रांन्त सम्पत्ति  (Evacuee Property) का नाम दिया गया और इन सम्पत्तियों की व्यवस्था हेतु भारत सरकार के द्वारा निष्क्रांत संम्पत्ति Evacuee Property एडमिनिस्ट्रेशन एक्ट 1950 बनाया गया और इन संपत्तियों का प्रबंध मुख्यतः उन व्यक्तियों के पक्ष में करने की व्यवस्था की गयी जो इस पलायन में पाकिस्तानी हिस्सा छोडकर भारतीय भूभाग में आये थे और विस्थापित कहलाये। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 में लागू हुआ और लगभग इसके तीन महीने के भीतर ही हमने विस्थापन के फलस्वरूप भारत आये व्यक्तियों के पुर्नवासन हेतु कानून बनाकर 17 अप्रैल 1950 को निष्क्रांत संम्पत्ति Evacuee Property एडमिनिस्ट्रेशन एक्ट 1950 के रूप में इसे लागू भी कर दिया। इस अधिनियम का उद्देश्य विस्थापितों की पाकिस्तान मे छूट गयी सम्पत्ति के एवज में उन्हें सम्पत्ति उपलब्ध कराना था। इन निष्का्रंत सम्पत्तियों में कृषि भूमि बाग मकान दुकान आदि सभी कुछ सम्मिलित था जो शहर और ग्रामीण दोनो ही क्षेत्रों में समान रूप से अवस्थित थीं। वह सम्पत्तियां जिनमें पाकिस्तान पलायन कर गये व्यक्तियों का आंशिक हिस्सा स्थित था उन्हें मिश्रित निष्क्रांत सम्पत्ति अर्थात कम्पोजिट प्रापर्टी कहा गया और समूचे पाकिस्तानी भाग वाली सम्पत्ति को अर्जित निष्क्रांत सम्पत्ति अर्थात अक्वायर्ड प्रापर्टी कहा गया।

 इनके व्यवास्थास्पन के लिए निष्क्रांत संपत्ति अधिनियम 1965 भी बनाया गया।

भारत सरकार के निर्देशानुसार सन् 1977 से इस सम्पत्तियों के प्रबंधन अधिकार राज्य सरकार को हस्तांतरित किया गया।

उत्तर प्रदेश के समस्त जिलों के तहसीलदार 1963 से ही प्रबंध अधिकारी निष्क्रांत सम्पत्ति नियुक्त किये जा चुके थे।

भारत सरकार ने जब इन सम्पत्तियों का प्रबंधनाधिकार राज्य सरकार को दिया तब ग्रामीण क्षेत्रो में कुल 53233 खेतिहर संपत्तियां थी जिनमे 26777 एकड भूभाग अवस्थित था साथ ही 1767 बाग आदि जिनमें 560 एकड भूभाग एवं 2024 भवन दुकान आदि प्रबंधन हेतु उपलब्ध बताये गये थे परन्तु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराये गये सर्वे के अनुसार 35721 खेतिहर संपत्तियां थी जिनमे 15149 एकड भूभाग अवस्थित था साथ ही 354 बाग आदि जिनमें 595 एकड भूभाग एवं 1321 भवन दुकान आदि ही पाये गये।

इसी प्रकार जारी

भूमि समस्या (आदि से वर्तमान तक)Where stories live. Discover now