15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ उसके छह माह बीतने तक आजादी के नायक महात्मा गांधी की हत्या हो गई।
लगभग ढाई वर्ष बाद 26 जनवरी 1950 को हमने अपना संविधान भी अंगीकार कर लिया लेकिन महात्मा गांधी के सपनों का भारत दूर दूर तक कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।
भूख और अशिक्षा भारतीयों की मूल समस्या थी और स्वतंत्रता के नाम पर देश के सभी नागरिक अनाज के लिए सरकार की ओर ही देख रहे थे।
धीरे धीरे इसी स्थिति में तीन साढ़े तीन वर्ष व्यतीत हो गए और कोई सुधार न हुआ तो महात्मा गांधी जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी संत विनोवा भावे ने अनाज की कमी का हल निकालने के लिए "सर्वोदय यात्रा" करने का संकल्प लिया।
8 मार्च 1951 को वो पवनार आश्रम से निकले तो उनका पहला पड़ाव था बायगाव..!
अपने पहले पड़ाव वायगांव में उन्होंने आह्वाहन किया कि-''..हमें स्वावलंबी बनना है कर्मनिष्ट बनना है लेकिन जो लोग सक्षम है वो मजदूरी के रूप में अनाज का भुगतान करे जिससे गरीब भूमिहीन के घर पर भी चूल्हा जल सके और उसके बच्चे भी भोजन पा सकें..!''
संत के आह्वाहन का प्रभाव था कि रालेगांव में तीन व्यक्तियों ने लिखित आश्वासन दिया कि वो अपने क्षेत्र में आंशिक मजदूरी का भुगतान ज्वार के रूप में करेंगे..!
संत विनावा की यह सर्वोदय यात्रा कालांतर में एक विशिष्ट यात्रा सिद्ध हुई..!
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भूमि समस्या (आदि से वर्तमान तक)
Historical Fictionधरती पर अधिपत्य को लेकर संघर्ष होते रहे और अंततः धरती अपने उस स्वरूप में आ गयी जो आज विद्यमान है जिसमें अधिपत्य के आधार पर देशों का निर्धारण हुआ। .....इसी समस्या के मूल में जाकर मुख्यतः भारत के संदर्भ में व्यौरा जुटाया गया है। ...