Roshni

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नदी किनारे बैठा था
जब महसूस उसका हाथ हुआ
मुड़ के देखा तो
मेरी काली ज़िंदगी को
उसने रोशनी के गुलाल से
रंग दिया था ।।

दास्ताँ हमारीWhere stories live. Discover now