लाडो थारों सासरियो बुलावे...🏵️

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यह कहानी मैं हिंदी(देवनागरी लिपि)में लिखना चाहती हूं, क्योंकि हिंदी में जों भाव है,वह कहीं और नहीं ,और क्योंकि यह कार्यक्रम भी हिंदी में ही आता है तो आशा है कि आपको हिंदी पढ़ना भी अच्छा लगेगा,जैसे बचपन में हिंदी में कहानियां पढ़ते थे। मैं खुद भी कितने समय बाद ऐसा कर रही हूं।......

I am writing this story in Hindi(devnagari lipi/script)primarily and giving you an English translation so that the story has a wider range.

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भाग -१ (Chapter -1 Laado Tharo Saasriyo Bulaave🏵️Oh dear daughter,your Prince awaits your arrival🏵️)

यह कहानी है एक राजकुमारी और राजकुमार की,जी हां देश हमारा स्वतंत्र है,और यहां लोकतंत्र है,वह भी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र।

पर कुछ कहानियां कभी लिखी भी ना जाए, कही भी ना जाए, फिर भी वे जिंदा रहती हैं।

मैं,चंद्रानी की राजकुमारी,अब भले ही यह उपाधि नाम की हो,पर आज भी हमारे कुल का नाम प्रेम और सम्मान से लिया जाता है।अब कोई हमारी प्रजा नहीं,कोई हमारे अधीन नहीं,बल्कि हम सब एक दूसरे के और समीप हैं,जैसे एक परिवार के सदस्य।

यहां के लोग बड़े सीधे,सरल और मिलनसार हैं,और प्यार से हमें राजकुंवरी कहते हैं,जैसे के बेटियां होती हैं,घरों की रौनक, राजकुमारियां...।

पर बचपन से जैसे हर राजकुमारी का भाग्य एक राजकुमार के साथ जोड़ दिया जाता है,हमारे लिए भी कोई है।नहीं,हमारे जीवन का लक्ष्य बस किसी की पत्नी बनना नहीं,हां हम इस संबंध और इसकी महानता की रक्षा अवश्य करेंगे, परन्तु जो भी ज्ञान,समझ हमें इस संसार से मिली है,हम किसी रूप में उसे वापस लौटाएंगे अवश्य....।

तो बात ये है कि.....

कुमुद(हमारी सखी, नहीं बल्कि बहन)- प्रिया, कहां खोई हो?...बड़े बाबा साहिब..हमारा अर्थ है बड़े बाबा सा  ने बुलाया है,चलिए।

'साहिब',कुमुद को कितनी बार समझाइए,पर नहीं...हमारे बाबा सा,उनके साहिब क्यूं,उनके बाबा सा ही हुए ना..हमें नहीं भाता जब कुमुद स्वयं को हमसे कम समझती है, वो प्राणप्रिय सखी है हमारी,कोई दासी नहीं।हम कुछ कहते इससे पूर्व ही...

छाप तिलक सब छीनी रे....Where stories live. Discover now