ये कहानी शुरू होती है राजस्थान के एक रहस्यमय गांव कुलधरा से। ये गांव एक श्राप के कारण 178 सालों से वीरान पड़ा है। 5 दोस्त जो कुलधरा की ट्रिप पर जाते है और वहां जाकर एक बहुत बड़ी मुसीबत में फंस जाते हैं।
Unme se ek m bhi tha.
Socha nahi tha ki kabhi me...
सुबह हो चुकी थी । में अपने घर पे ही था की तभी मुझे श्रुति का कॉल आया ।
" हा , श्रुति बोल " मेने फोन उठाते ही कहा।
श्रुति - " रोहन , जल्द से जल्द मेरे घर आ जाओ ।"
" ठीक है पर हुआ क्या " में बोला ।
श्रुति - वो व् व् व् ..... विशाल , विशाल की मौत हो चुकी है , कल रात को । ऐसा कहकर वो रोने लगी।
में - " क्या ? ... कैसे हुआ ये ,,,, तुम वहीँ पर रुको में आता हूँ ।
मेने देर करना ठीक नहीं समझा और तुरंत ही श्रुति के घर गया वहां श्याम भी मौजूद था । तो हम सब लोग साथ में विशाल के घर की तरफ रवाना हो गए ।
वहाँ पहुँचने के बाद .....
जेसे ही घर के अंदर गए तो सारा सामान बिखरा हुआ पाया । और कुछ दूर चलने पर ही विशाल की हड्डियां दिखी , क्योंकि वो आदमखोर विशाल के मांस को खा चुका था ।
हम सब को बहुत दुःख हो रहा था । क्योंकि विशाल हमारा सबसे अच्छा दोस्त था।
" कोई नही बचेगा , हम सब मरेंगे .... लेकिन यार में मरना नहीं चाहता ।" श्याम रोते हुए बोला।
" तू ऐसा क्यों बोल रहा है भाई ।" मेने कहा।
श्याम - " क्योंकि वो साया हमारे पीछे है , और उससे बचना लगभग न मुमकिन है ।
में - " तू टेंशन मत ले ,, कुछ नहीं होगा ।" मेने उसे समझाते हुए कहा ।
की तभी हमें अंदर किचिन से किसी के हँसने की आवाजें आने लगी । हम एकदम से खड़े हो गए और किचिन की तरफ आगे बड़े ...
जेसे ही वहां पहुंचे तो देखा की उस आदमखोर के हाथों में विशाल का दिल था ,जो की खून से लथपथ था।
और वो आदमखोर हँसते हुए बोला - " हा हा हा ।। मार्च का महीना ख़त्म होने के बाद , 12 अप्रैल को फिर से अमावस्या आने वाली है .... ।।।
ऐसा कहकर हमारे पलक झपकते ही वो गायब। हमे अपनी आँखों पर यकीं नहीं हो रहा था की अभी जो हमारे साथ हुआ वो सच था या धोखा ।
पर हमारी बदकिस्मती से वो सच था ।
अब इन सब के बीच गलती मुझसे ये हो गयी की , उसके जाने के तुरंत बाद में किचिन में गया , और फ्रिज खोला ,,
और पानी पिया ।।।।
अब आप सोचेंगे इसमें क्या गलती की ..
यही तो गलती थी की मेने उस बॉटल का पानी पिया जिस बॉटल में से उस आदमखोर ने पानी पिया था। और कहते हैं कि , आदमखोर का झूठा जो भी चखता है , वो अमावस की रात को आदमखोर बन जाता है , और खून का प्यासा हो जाता है।
अमावस्या साल के हर महीने में एक बार आती है , मतलब पूरे साल में 12 बार , हम 13/03/2002 ( मार्च ) को कुलधरा गए थे , जहां हमारे साथ वो भयानक हादसा हुआ , और अब मार्च ख़त्म होने के बाद अप्रैल की 12 तारीख को फिर से अमावस्य पड़ रही थी !
तो फिर क्या होगा आगे , जानने के लिए पढ़िए अगला भाग ।
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