【अंत ही आरंभ है】

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गुरूजी हमे कुलधरा की सीमा पर ही छोड़कर जा चुके थे । कुलधरा से निकलकर हम अब 11 किलीमीटर दूर स्थित बजरंगबली के मंदिर की ओर बढ़े ।

हम लगभग 6 किलोमीटर का सफर तय कर चुके थे और लगातार आगे बढे जा रहे थे कि तभी श्रुति का एक पैर रेत के अंदर धँसने लगा ।

हम लगभग 6 किलोमीटर का सफर तय कर चुके थे और लगातार आगे बढे जा रहे थे कि तभी श्रुति का एक पैर रेत के अंदर धँसने लगा ।

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" रोहन , बचाओ ," श्रुति चिल्लाई ।

मैंने और माया ने श्रुति को पकड़ा और बड़ी मशक्कत के बाद उसके पैर को बाहर निकाला ।

" श्रुति ये कैसे हुआ , तुम्हारा पैर अचानक अंदर कैसे धँस गया ," मैंने श्रुति से पूछा ।

" पता नहीं ये कैसे हुआ , मैं खुद हैरान हूँ ," श्रुति बोली ।

" मुझे पता है , ये कैसे और क्यों हुआ , " माया ने कहा ।

मैं और श्रुति उसकी तरफ प्रश्न भरी निगाहों से देख ही रहे थे की वो बोली ," रोहन तुम्हारे पास हनुमान चालीसा है और मेरे हाथ में ये लाल किताब , इसीलिये ये घटना हमारे साथ नहीं हुई , जबकि श्रुति के पास ऐसा कुछ भी नहीं है , इसीलिए उन्होंने श्रुति को निशाना बनाने की कोशिश की । "

" किसने ," मैं और श्रुति लगभग एक ही स्वर में बोले ।

" उन्ही बुरी ताक़तों ने जो हमें बजरंगबली के मंदिर में जाने से रोकना चाहतीं है , क्योंकि अगर एक बार हम वहां पहुँच गए तो ये ताक़ते हमे नुकसान पहुंचाना तो दूर , हमारे पास भटक भी नहीं पाएंगी ," माया ने कहा ।

" उन्ही बुरी ताक़तों ने जो हमें बजरंगबली के मंदिर में जाने से रोकना चाहतीं है , क्योंकि अगर एक बार हम वहां पहुँच गए तो ये ताक़ते हमे नुकसान पहुंचाना तो दूर , हमारे पास भटक भी नहीं पाएंगी ," माया ने कहा ।

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⏰ पिछला अद्यतन: Sep 04, 2019 ⏰

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