【 प्यार और समाज 】

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दिल के हर दर्द में ,
अपना वो रिश्ता छिपाता हूँ !

गाता हूँ , मुस्कुराता हूँ ,
लेकिन तुझको नहीं भुला पाता हूँ !

क्या पाक रिश्ता था तेरा मेरा ,
जो हर वक्त दोस्ती निभाता था !

डरता था , इस समाज से ,
इसके रीति रिवाज से !

न जाने ऐसी क्या खता की दोस्ती करके ,
जो अभी तक नहीं समझ सका में " जिन्दा मरके !"

करता हूँ , उतना ही प्यार ,
जितना पहले करता था !
समाज की नजर में दोस्ती थी ,
इसलिए कहने से डरता था !

Rohit chourasiya

【Rohit chourasiya】

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