【 तेरी वो नादानियां 】

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तेरा वादा ..
तेरी कसमें ...
और तेरी वो नादानियां ...

कहाँ ढूँढू इन्हे ,
न मुझे मंजिल पता है ..
और न ही रास्ते !
न पैग़म्बर कोई और न ही वास्ते !

तू नहीं तो क्या .. तेरी यादें तो मेरे पास हैं ..
मेरे साथ हैं!

ख़ामोश गलियों के कोने भी मैनें तराशे हैं !
कोनों पे रखे गट्ठर भी मैनें टटोले हैं !

ऊपर आसमान को भी देखा ..
नीचे जमीं से भी पूछा !

लेकिन सब उन्हीं खामोश गलियों की तरह ही खामोश हो जाते हैं !

शायद मन ही मन हँसते हैं मुझपे ... मेरी नादानी पे !
....
पर उन्हें क्या पता ... कि इन्हीं नादानियों में तुम हो ... तुम्हारी यादें है ... तुम्हारा वादा और तुम्हारी कसमें हैं !
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              ROHIT CHOURASIYA

 तुम्हारा वादा और तुम्हारी कसमें हैं !_____________________________________              ROHIT CHOURASIYA

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