【 अधूरा इश्क़ 】

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भटकते भटकते तेरी गलियों में ,
न जाने कैसा जादू छाने लगा !
होश में होते हुए भी ,
मुझको तेरा नशा सा आने लगा !

देखा जाये तो ,
अंधेरो भरी इस कश्ती का एक तू ही किनारा थी !
किल्लत भरी इस जिंदगी का सिर्फ तू ही सहारा थी !

सच कहूँ ,
मुझे मौत भी मंजूर होती जब तू गले से लगा लेती !
रूठे हुए इस पागल दिल को आहिस्ते से सुला देती !

अंधेरों की कश्ती , इस क़िल्लत भरी दुनिया में ,
फिर से जा लौटी !
हक़ीक़त से परे , मौत भरी जिंदगी की ,
यही तो है कसौटी !

अब तो बस एक ही ख़्वाहिश है ,

अधूरा था इश्क़ , वो पूरा हो जाये ,
सपने में ही सही ,
पर तू मेरी हो जाये !

【 Rohit chourasiya 】

【 Rohit chourasiya 】

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