【 मौसम भीगा ... रात सुहानी 】

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सावन गुज़रे ...
पल - पल बीते ...
थका मैं बैठा यादों में !

हवा के झोंके घुल जाते हैं ,
रोज़ मेरी इन साँसों में !

टूटे पत्थर ...
जख़्म पुराने ...
मरहम बनकर चुभते हैं !

उलझी डोर पतंग के जैसे ,
गिरते लम्हे लगते हैं !

छोटी - छोटी ...
खुशियाँ सारी ...
छीन लीं तुमने गम देकर !

मेरे ख़ातिर वापिस करदो ,
दाम थोडा तुम कम लेकर !

उड़ते पंछी ...
सूना बादल ...
दिल के भी हालात यही हैं !

तुझसे दूर बिछड़के मेरे ,
दिल के अब जज़्बात यही हैं !

मौसम भीगा ...
रात सुहानी !
ख़त्म मेरी अब ...
प्रेम कहानी !

लहराती वो चुनरी तेरी ,
याद बड़ी अब आती है !
मस्त पवन के झोंके संग वो ...
दिल को भी ले जाती है !

【 RoHit Chourasiya 】

【 RoHit Chourasiya 】

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