कौन कहता है!

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कौन कहता हैं कि इश्क अंधा है,

ख्वाब यूं ही नहीं सजते थे कभी!

इश्क.. इश्क है कोई तालीम नहीं,

वरना हर कोई घर ही बसा लेता!

हमने पुछा आसमान को तारें है!,

चाहिए तो ले जाना मुफ्त में तो हैं!

तोड़ कर देखा गुरुर आईने का,

हाथों में ना तक़दीर में था कुछ!

यह कैसी बेबसी हैं न तेरा न मेरा,

कब वक्त वक्त का जायजा लेगा!

घर वापसी करने वालों को परदेशी न कहना,

क्यों कि हर कोई आवारा तो नहीं होता है ना!

अक़्स Where stories live. Discover now