मिलती है बार बार मुझे वह नज़र लाज़वाब है,
आँखों से मारा है मुझे वह खंज़र लाज़वाब है!दरिया के सामने घर उनका वह शहर लाज़वाब है,
डूब गये है ख़ातिर जिनके वह लहर लाज़वाब है!क़ासिद़ से मिली है सुबह वह ख़बर लाज़वाब है,
शाम तक किया है इंतज़ार वह अंबर लाज़वाब है!महकता हुआ दरवाजे पर वह शज़र लाज़वाब है,
जला दे सबके दिल मे चिराग़ वह क़हर लाज़वाब है!वादा किया मिलने का जहाँ वह ड़गर लाज़वाब है,
वार किया जो तिर ए दिल पर वह ग़दर लाज़वाब हैबीता हुआ आज तक का यह सफ़र लाज़वाब है,
आईने मे देखा हुआ सितारों का मंज़र लाज़वाब है!सजाये है ऐसे कितने ख़ुदा ने राज़ तेरे बारे मे राज़,
मिलता है जो ख़्वाबों मे तुझे वह ज़हर लाज़वाब है!
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अक़्स
General Fictionwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...