तुम अपना वास्ता जमीन से रखना सीख लो,
तुम अपना रास्ता ख़ुद ही बनाना सीख लो!हर शहर हर तरफ़ यहाँ रकीबों से है भरा,
दुश्मनों को अपना दोस्त बनाना सीख लो!जिंदगी ए जिंदगी नाराज़ ना होना कभी मुझ पर,
ग़म ए दस्तूर है ए जिंदगी गले लगाना सीख लो!मुक़ाबले में कभी हार कभी जीत हैं ए झ़ील,
तुम अपना हर आँसू आँखों में छुपाना सीख लो!हमने माना हैं यह के जिंदगी धूप हैं लेकिन,
रात की ख़ामोशी यों को छाँव समझना सीख लो!जो भी आया हैं जहाँ में भीतर से जूझ़ रहा है,
हर एक ग़म पे तुम सुकून से मरना सीख लो!बिग़ड़ गया क्या उनका जिनका बिग़ड़ गया है,
बार बार गिर के जमीन पें सँभलना सीख लो!कोई होता नहीं किसी का सारे रिश्ते ही झूठे हैं,
ग़म ए दिल से रिश्ता ख़ुद निभाना सीख लो!जख़्म ए दिल हमेशा समंदर से भी बड़ा रखना,
दर्द़ छुपा कर पानी की तरह बहना सीख लो!याद करना मुझको जब भी वक्त़ मिलेगा जरूर,
आऊँगा नहीं लौट कर सितारों में ढूँढना सीख लो!
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अक़्स
פרוזהwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...