जाने कैसे हँस लेते हो बार बार रूला देते हो,
ठुकरा कर इस दिल को पास बुला लेते हो!चाँद नहीं इस जमीन पर माहताब से लगते हो,
जब चाहा पुजा जब चाहा ख़ुदा बना देते हो!जो भी चाहा तुमने हमनें सब कुछ दे दिया है,
करतें हो जो वादा जाने कैसे भूला देते हो!सुनते हैं अपनों की और ग़ैर से नफ़रत करतें हैं,
जब चाहा अपनाया जब चाहा जुदा कर देते हो!जो कसमें खाई थी तुमने एक दूजे के हम हैं,
दोस्त बना के दोस्ती का हक़ अदा कर देते हो!रोज़ ए झगड़ा बार बार दोहराया नहीं करते हैं,
जिंदा रख कर ही मौत की नींद सुला देते हो!क्या करेंगे झ़ील का सौदा कौन ख़रीदार मिलें,
हवाओं की इस खुशबू में ज़हर घुला देते हो!
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अक़्स
General Fictionwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...