जाने कैसे

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जाने कैसे हँस लेते हो बार बार रूला देते हो,
ठुकरा कर इस दिल को पास बुला लेते हो!

चाँद नहीं इस जमीन पर माहताब से लगते हो,
जब चाहा पुजा जब चाहा ख़ुदा बना देते हो!

जो भी चाहा तुमने हमनें सब कुछ दे दिया है,
करतें हो जो वादा जाने कैसे भूला देते हो!

सुनते हैं अपनों की और ग़ैर से नफ़रत करतें हैं,
जब चाहा अपनाया जब चाहा जुदा कर देते हो!

जो कसमें खाई थी तुमने एक दूजे के हम हैं,
दोस्त बना के दोस्ती का हक़ अदा कर देते हो!

रोज़ ए झगड़ा बार बार दोहराया नहीं करते हैं,
जिंदा रख कर ही मौत की नींद सुला देते हो!

क्या करेंगे झ़ील का सौदा कौन ख़रीदार मिलें,
हवाओं की इस खुशबू में ज़हर घुला देते हो!

अक़्स Where stories live. Discover now