एक मुर्तिक़ार

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क्या नाम है तुम्हारा कही तुम ख़ुदा तो नहीं,
ऊॅंगलीयोंसे जान भर दी पत्थर में
पत्थर में रहता तो नहीं!

नरम मुलायम मिट्टी में मंजिल हासिल की है,
कहीं किसी ख्व़ाबों का यह कोई घर तो नहीं!

हमनें सुना है वह सारे कायनात का मालिक है,
अपनी कला दिखाने धरतीपर आया तो नहीं!

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