तेरा अक़्स हैं तेरा जुनूँ तेरे बारें में क्या क्या कहूँ,
जब तु नहीं है सामने यह आईना क्या क्या कहूँ!तुम चाँद हो हँसीन हो यह दुनिया तुझ पे फिदा,
तेरा नाम लिखा हैं दिल में तेरा पता कैसे भूलूँ!मेरी जिंदगी तो है बस तेरी तेरी गली तेरा शहर,
हूँ बेघर ही मैं मुसाफ़िर बेडियाँ लिए कैसे फ़िरूँ!जहाँ आरजू वहाँ हो तुम हर जुबाँ पे चर्चा तेरा,
कोई कहतें है भला कोई कहें बुरा कैसे रोक लूँ!सारी उम्मीदें हो तुम तुझको जमाने से क्या ड़र,
हर फ़िज़ा हर अदा हो तुम जाने कहाँ ढूँढ लूँ!जब तक है दम चलता रहूँ तसबी हाथों में लिए,
इस घर की चारों दिवारी में मेरे ख़ुदा कैसे रहूँ!तेरी आँखें न हो नम़ कभी दिल की यह दुवा है,
तुम ही रख दो फूल मज़ार पे तो मैं ख़ुशी से मरूँ!
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अक़्स
General Fictionwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...