वंदे वंदे वंदे मातरम्
वंदे वंदे वंदे मातरम्,
वंदे मातरम्
वंदे मातरम्तेरी वंदना विश्व में गुंजे
गुंजे सारा आसमान,
धरती के माथे का सिंदूर,
हैं यह मेरा हिन्दुस्तान!जितनी फूलों में खुशबु हैं,
उतने यहाँ त्यौहार है,
जितने मिट्टी से रिश्ते हमारे,
उतनी कसमे वादे हैं!दिल हमारा कमजोर नहीं है,
दुश्मनों से कोई बैर नहीं है,
टोंक दे बाजु ओं को हमारे,
तो उनकी कोई खैर नही है!देह हमारे प्रान हमारे देश पर कुर्बान है,
सीमा की रक्षा करने हम प्रतिबद्ध हैं,
प्रेम ही पुजा और प्रेम ही गुरबत है,
प्रेम ही ममता का शीष है!
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अक़्स
General Fictionwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...