illusion

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आवाज़ हमनें सुनी भी नही लगता है बेजुबाँ है कोई,
हर फूल खिलता है देख के उनको बाग़बान है कोई!

एक ही नज़र में होश़ उड गये ख़यालों में खो गये हम,
ख़ुदाया जमीन पे दिल लगाने का अन्जाम है कोई!

ना पहचान कोई ना कुछ पता चला कहाँ से आये हैं,
चेहरा वही आँखों में मेरी चाँद जैसा बेनाम है कोई!

जख़्म ताजा लेकर पूरी क़ायनात ढूँढ के आये मगर,
ना यहाँ ना वहाँ मिला जान कर भी अंन्जान है कोई!

दिन गुज़र गया और ख़ामोशी ने पहरा लगाया यहाँ,
आँखों में देख कर नींद तक चुरायी है नादाँ है कोई!

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