"Popular Choice Award".
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यह अक़्स है झ़ील की आँखों में जो कभी
जुदा होना ही नहीं चाहता है,
यह दिल हैं के मानता ही नहीं किसी और पे
फ़िदा होना ही नहीं चाहता है!तुम ही चाँद हो तुम ही आसमान और तुम ही
सितारों से भरा घर का आंगन,
मेरी मज़ार पर हो नाम तुम्हारा यह दिल हैं कि
ख़फा होना ही नहीं चाहता है!कहतें हैं सारे जमाने के लोग इस बंद कमरे में
शायद मर गया होगा कोई,
सराबों में तेरे हैं कुछ ऐसा नशा हर किसी हाल में
जिंदा होना ही नहीं चाहता है!देकर के दस्तक़ दरवाजे पर हर किसी ने पुछा
जरा सा जाग जाओ मेरे भाई,
मैंने माना के मैं मुसाफ़िर हूँ पर दिल हर आदमी सा
नादाँ होना ही नहीं चाहता है!बिक़ गईं हैं सारे शहर की ही बस्तियाँ हर इमारतें
अब आसमान छूने लगीं हैं,
मैं हार जाऊँ मैं ड़र जाऊँ यह इश्क़ है ऐसा के
सस्ता होना ही नहीं चाहता है!तुम जब गयें थे तो हर किसी ने माँगी थी यह दुवाएँ
के तुम सदा सलामत रहों,
मिटा दो सारे नामो-निशाँ यह दिल इस मोहब्बत को
खोना ही नहीं चाहता है!लिखने दो हर शायर को आज के किस किस के
दिल में क्या पनप रहा है,
हर क़िताब तेरी हर क़लाम तेरा यह किसी और की
जुबाँ होना ही नहीं चाहता है!
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अक़्स
General Fictionwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...