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कुत्ते पालने से अमीरी का एहसास होता है, इसीलिए मैं एक उच्च-वर्गीय कुत्ते की तलाश में शहर की सबसे लाजवाब दुकान में घुस गया।
कुछ ही देर में अंतर्मन ने फ़ैसला किया की गली के कुत्ते को भी तबीयत से नहला के फीता बाँध दो तो शौक पूरा हो सकता है।
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कुत्ता जान चुका है इंसान की नमकहरामी को संतुलित करते रहने के लिए उसे ही वफ़ादार रहना पड़ेगा।* * *
ग़रीब और कुत्तों में बस यही समानता है की जब भी दोनों कुछ कहने का प्रयास करते हैं तो अधिकांश लोगों को लगता है भौंक रहे हैं।
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वाकई मुझे लगता है यह शोध का विषय है की हम इंसानों के पास धर्म, ईश्वर, गुरु, किताबें, स्कूल, कॉलेज, पुराण, पंडित, ज्ञान, सभ्यता, संस्कृति, होते हुए भी वफ़ादारी नहीं है, और कुत्तों के पास बाकी कुछ भी नहीं है किंतु वफ़ादारी है!
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देख तमाशा: लघु कथाओं का संग्रह
Short Storyरचना - देख तमाशा लेखक - आशुतोष मिश्रा देख तमाशा दरअसल दिल की डाइयरी जैसी है! जो अच्छा लगा, लिख दिया! ज़्यादा कुछ सोचा नहीं! यहाँ आपको लघु कथायें, विचार, कुछ कवितायें, कुछ गुदगुदाती बातचीत, कुछ अजीबोगरीब किस्से मिल सकते हैं! आशा है आपको यह सं...