11 | छतरी

63 16 28
                                    


छतरी

बारिश का मौसम आया ही था की बाजार में छतरी की बिक्री बढ़ने लगी और तोलाराम की छतरी खरीदने की उत्सुकता भी।

दरअसल पिछले साल उसकी कीमती छतरी कोई बस अड्डे से गायब कर गया था और उस बात का इतना दुख हुआ की फैसला किया इस वर्ष बारिश में बस अड्डे जाएगा ही नहीं।

बस अड्डा भी वैसे चोरों का अड्डा बनता जा रहा था। चोरी की घटनाएँ बहुत आम हो गयी थी। हाल ही में ही भटनागर की बिटिया गायब हो गयी थी। बस अड्डे से ही हुई थी। हालाँकि गायब किसी चोर ने नहीं भटनागर के ही किसी विद्यार्थी ने की थी।

भाग कर शादी करने का प्रचलन भी गाँव में चोरी जितना आम हो रहा था। लेकिन शुक्र है बारिश का मौसम शुरू हो गया था। अब घर से भाग जाना इतना आसान नहीं था। बस और ट्रेन भी देरी से चलती थी। और गाँव में सब एक दूसरे का छाता पहचानते थे। किसी की लाड़ली बिटिया भागेगी भी तो भी पकड़ी जाएगी। आखिरकार इस मौसम में बिन छाते के भागना तो बेवकूफी ही होगी।

यही सब सोचते सोचते तोलाराम ने एक खूबसूरत गुलाबी रंग का छाता पसंद किया। दाम ठीक लगे तो ले लिया। एक सुंदर मुस्कान के साथ घर लौट रहा था तो क्या देखता है कि खाली पड़े बस अड्डे पर दो लोग खड़े हैं।

जरूर बस का इंतज़ार कर रहे होंगे। गौर से देखा तो पता चला की वह तो भटनागर की दूसरी बिटिया थी। साथ में एक सुंदर युवक था। ऐसा प्रतीत होता था कि यह भी भाग ही रही थी।

तोलाराम उनकी ओर बढ़ा तो क्या देखता है की एक बदमाश छिपकर उनकी खूबसूरत छतरी गायब कर रहा था। उसे बड़ा धक्का सा लगा। गाँव में बेरोजगारी इस क़दर बढ़ गयी थी कि आधे युवा लड़की और आधे छतरी गायब करने में लगे थे।

छतरी के चोरी हो जाने पर भटनागर की बिटिया के आँसू टपक पड़े। उसी वक़्त मूसलाधार बारिश शुरू हो गयी। तोलाराम से लड़की का दुख देखा नहीं गया। अपनी प्रतिज्ञा तोड़ते हुए वह उन दोनों की ओर बढ़ा।

बेटी किसी की भी हो, आँखों मे आँसू हो तो मन भारी हो जाता है। तोलाराम उसका दुख समझता था। उसके आँसू देख तोलाराम का हृदय पिघल गया। उसने तुरंत ही एक बहुत बड़ा फ़ैसला किया।

वह उन दोनों के नज़दीक आया और बिटिया के सर पर हाथ रख कर समझाने लगा। दिलासा देने लगा। उनकी हौसला-अफ़ज़ाई करने लगा।

"तुम भी तो मेरी बेटी जैसी हो। मेरा मतलब है मेरी बेटी होती तो शायद मुश्किल होती समझने में की वह क्यों भाग रही है लेकिन तुम्हारी कुछ तो वजह रही होगी। तुम्हारी बहना भी भाग गयी थी। कोई बात नहीं, अब रोना बंद करो। देखो बस भी आ गयी है। छतरी का दुःख मत करो। तुम मेरी छतरी ले लो। मैंने आज ही ली है - एकदम ब्रैंड न्यू!"

लड़की के चेहरे पर बस को देख मुस्कान लौट तो आई थी लेकिन उसने गंभीर स्वर में तोलाराम की ओर देखते हुए कहा-

"कौनसी छतरी, काका?"

"ओफ्फो यह बस अड्डे के चोर भी ना।"

देख तमाशा: लघु कथाओं का संग्रहWhere stories live. Discover now