बचपन से सुन रहे हैं सरकार सो रही है सो रही है पर असल बात तो यह है की जनता सो रही है।
सरकार तो चोरी कर रही है।
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एक झूठे और मक्कार नेता से पूछा गया की आप कैसे नेता हैं तो जवाब में उन्होने कह दिया की एक सच्चा और ईमानदार नेता।
लोकतांत्रिक प्रणाली के हिसाब से इस कथन पर मतदान हुआ। दो तिहाई ने सच, बाकी एक तिहाई में से अधिकांश ने झूठ और एक आध छूट पुट ज्ञानियों ने नोटा माना।
फिर उस झूठे और मक्कार नेता के लिए तालियाँ बजने लगी।
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कुछ लोग लोकतंत्र में एक अच्छा नेता नहीं बल्कि एक गुंडा ढूंढ रहें हैं जिसे वोट की सुपारी देकर उन लोगो का दमन किया जा सके जिनके लिए उनके मन में जबरदस्त नफ़रत है!
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जनता ने सवाल किया की पूल कैसे टूटा?
जवाब नहीं आया लेकिन जंगल में आग लग गयी।
जनता ने सवाल किया कि जंगल में लगी आग से हुए नुकसान पर सरकार क्या करेगी?
जवाब आता कि उससे पहले एक बच्चा बिजली के खुले तार से करंट लगने से मर गया।
जनता का आक्रोश सड़को पर आंदोलन के रूप में उभरा। हर तरफ से सवाल उठने लगे।
जवाब आता कि उससे पहले रिपोर्ट आई कि सरकार के एक नेता का किडनी तस्करी में सीधा कनेक्शन है।
इस्तीफे की माँग तेज़ हुई। काफी तेज हो गयी। अब तो जवाब देना ही पड़ेगा। दे भी देते लेकिन उससे पहले एक स्कूल से एक लड़की गायब हो गयी।
जनता का आक्रोश चरम सीमा पर था। इस बार जवाब आया। तरह तरह के बयान आये। जिसने अगवा किया और जिसे अगवा किया दोनों अलग अलग धर्म के थे। तुरंत सरकार ने कारवाही करी। भाषण हुए। रैलियाँ हुई।
फिर दंगे भी भड़क गए। सभी नेता अपने अपने बिल में से निकल कर जवाब देने आ गए।
लेकिन फिर जनता सवाल भूल गयी और आपस में बँट गयी।
BẠN ĐANG ĐỌC
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